नई दिल्ली। कोरोना की महामारी केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों को घेरे हुए है. भारत में जैसे लोग लॉकडाउन के दौरान घरों में कैद रहने को मजबूर हैं, वैसे ही दूसरे देश के लोगों का भी हाल है. कल-कारखाने बंद हैं, स्कूल बंद है, होटल-रेस्टोरेंट, घूमने-फिरने की जगह पर पाबंदी लगी हुई है. ऐसे समय में बेल्जियम के वायरसविज्ञानी गुइडो वेनहम ने अपने तीन बच्चों को पत्र लिखकर कोरोना के प्रभाव से बचने को लेकर पत्र लिखा है, जो इन दिन सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

गुइडो वेनहम ने अपने बच्चों पीटर, जोहान और नीली को संबोधित करते हुए लिखा कि कोरोना महामारी से जूझते हुए हमें आधा साल हो गए हैं, मैं समझ सकता हूं कि तुम लोग कोरोना थकान से जूझ रहे होगे. ऐसे में मैं आने वाले महीने तुम लोग कैसे गुजारों इसके लिए कुछ सुझाव दे रहा हूं,

सबसे पहले मास्क को लेकर है, जिसे पहन कर ऊब चुके होगे, और उसकी उपयोगिता पर सवाल भी कर रहे होगे. तो बता दूं कि यह वारयस केवल खांसी और छिंक से ही नहीं फैसला बल्कि यह बोलते समय भी मुंह से बाहर आता है, जिससे बचना जरूरी है. दूसरा ऐसे लोग जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं भी हैं, वे कोरोना फैला सकते हैं. ये लोग अनजाने में ही सुपर स्प्रैडर बनकर दूसरे दर्जनों लोगों को कोरोना दे रहे हैं. इसलिए कोरोना को लेकर सावधानी जारी रखें.

गुईडो वेनहम अपने बेटे पीटर वेनहम के साथ…

 

इसके अलावा अगर तुम लोग सरकार के कड़े दिशानिर्देश नहीं फालो करना चाहते हैं, लेकिन वायरस के प्रभाव को फैलने से रोकना चाहते हैं तो इन बातों पर ध्यान रखों. फेस मास्क इस वायरस की चपेट में आने से रोकने के लिए इकलौता सबसे प्रभावी तरीका है, ऐसे में फेस मास्क ऐसे पहनो जो चेहरे पर फिट बैठे और जिसमें फिल्टर लगा हो, इससे यह प्रभावकारी होगा. फेस मास्क इनडोर (कार्यालय – रेल) में भी और भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों में भी पहनकर रखो, और हमेशा अपने हाथ को धोते रहे, जिससे वायरस पास न फटके.

कोरोना काल में सामाजिक गतिविधियां भी जरूरी है. मैं और तुम्हारी मां तुमसे मिलने के लिए स्विट्जरलैंड आना चाहते हैं, लेकिन हमारी उम्र में संक्रमण का खतरा ज्यादा है. बहरहाल, हम लोग ज्यादातर बाहर ही रहते हैं, और जब हम बैठते हैं, तो खिड़कियां हमेशा खुली रहती है. तुम लोग भी सामाजिक और व्यावसायिक जीवन के बीच संतुलन बनाकर रखो. घर की खिड़कियां अगर खोलना संभव नहीं हो तो वैकल्पिक व्यवस्था (फिल्टर वगैरह) अपनाओ और मास्क भी पहनो.

कोरोना काल में बच्चों को प्राथमिकता दो. उन्हें स्कूल जाने से मत रोको. कोरोना संक्रमित होने की संभावना कम है, हां, वायरस ग्राहक बन सकते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल से वंचित किया जाना उचित नहीं है. उनकी उम्र में सीखना जरूरी है. अगर जरूरी कदम उठाना ही हो तो अपने लिए उठाए. घर से ही काम करें, लेकिन बच्चों के लिए घर से पढ़ना मुश्किल है.

अंत में गुइडो वेनहम लिखते हैं कि कोरोना वायरस के वैक्सीन के लिए काम जारी है. उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत तक यह बाजार में आ जाएगी. लेकिन सामान्य स्थिति बहाल होने में साल-डेढ़ साल लग ही जाएंगे. वहीं दूसरी ओर शुरुआत वैक्सीन बाद के दिनों में अप्रभावी हो जाए, या नुकसान भी पहुंचाने लगे. ऐसे में कोरोना वायरस के बने रहे के पूरे आसार है. ऐसी स्थिति में व्यवहार में बदलाव लाना जरूरी है. मुझे उम्मीद है कि तुम इन बातों पर अमल करोगे.