रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को बस्तर संभाग में बड़ी सफलता मिली है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर जैसे संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में ऐतिहासिक कमी दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल को लंबे समय तक मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी का गढ़ माना जाता था। यहां की भौगोलिक स्थिति, घने जंगल, दूर-दराज के गांव, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और आदिवासी जीवनशैली ने मलेरिया के प्रसार को प्रोत्साहित किया था। लेकिन 2023 के बाद जब छत्तीसगढ़ की सत्ता में विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, तब राज्य सरकार ने बस्तर को मलेरिया-मुक्त बनाने की एक ठोस कार्य योजना पर काम करना शुरू किया। परिणामस्वरूप, बहुत ही कम समय में बस्तर मलेरिया नियंत्रण के क्षेत्र में एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया।

मलेरिया से जूझते बस्तर का पुराना दौर हुआ समाप्त
बस्तर, जिसे प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, दशकों से मलेरिया की चपेट में रहा है। वर्ष 2015-2020 के बीच बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों की संख्या हज़ारों में थी। विशेषकर दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जिलों में मलेरिया के केस सबसे ज्यादा रिपोर्ट होते थे।पहले पहाड़ी इलाकों और घने जंगलों के कारण स्वास्थ्य सेवाएं वहाँ नहीं पहुंच पाती थीं। बस्तर के अधिकतर गांवों में पीने का पानी नदी-नालों से आता है, जिससे मच्छरों के पनपने की संभावना बढ़ जाती है।ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में मलेरिया की रोकथाम के उपायों की जानकारी नहीं थी। साथ ही गांवों में स्वास्थ्य केंद्र तो थे, लेकिन प्रशिक्षित डॉक्टरों और ANM की भारी कमी थी।छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने इन तमाम परेशानियों को दूर करने में बड़ी सफलता हासिल कर रही है।

विष्णुदेव साय सरकार की ‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान’
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर में मलेरिया उन्मूलन को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में स्थान दिया। उनके नेतृत्व में जनवरी 2024 से एक विशेष अभियान की शुरुआत हुई जिसे नाम दिया गया – “मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान”।इस अभियान में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीमें गांव-गांव जाकर लोगों की रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) किट से मलेरिया की जांच करती हैं।बुखार से पीड़ित हर व्यक्ति की तत्काल जांच की जाती है। पॉजिटिव पाए गए हर मरीज को तुरंत दवा और मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाती है। गंभीर मामलों में स्वास्थ्य शिविर या जिला अस्पताल में रेफर किया जाता है। गांवों में मच्छरदानी (Insecticide Treated Net – ITN) का मुफ्त वितरण किया गया।लार्वा नियंत्रण के लिए जल स्रोतों में कीटनाशकों का छिड़कावकिया गया। घरों में स्प्रे अभियान चलाया गया।

मलेरिया उन्मूलन के लिए जनजागरूकता अभियान रहा कारगर
नुक्कड़ नाटक, लोकगीत, वीडियो फिल्म और दीवार लेखन जैसे माध्यमों से जनसमुदाय को मलेरिया की रोकथाम के बारे में जागरूक किया गया।स्कूलों, पंचायतों और आंगनबाड़ी केंद्रों में विशेष जागरूकता सत्र आयोजित किए गए।
सरकारी विभागों और जनभागीदारी से बना मलेरिया मुक्त बस्तर
मलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि कई अन्य विभागों जैसे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, और वन विभाग ने राज्य के मुखिया के दिशा निर्देश में एकजुट होकर काम किया। इसमें जनजातीय समुदायों को अभियान में सक्रिय रूप से शामिल किया गया। ग्राम सभाओं के माध्यम से लोगों को निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बनाया गया।मुख्यमंत्री साय ने इस अभियान में योगदान देने वाले स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन, मितानिनों और आमजन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “यह सफलता सामूहिक प्रयासों से ही संभव हुई है और यह छत्तीसगढ़ को एक स्वस्थ और समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।”
मलेरिया के विषय में राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़े
बस्तर संभाग में मलेरिया प्रकरणों में वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2024 में मलेरिया के मामलों में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है। जारी आंकड़ों के अनुसार बस्तर संभाग में मलेरिया धनात्मक दर 4.60 प्रतिशत से घटकर मात्र 0.46 प्रतिशत रह गई है। अभियान की सफलता पर राज्य के मुखिया ने सम्बंधित कर्मचारियों और अधिकारियों को दी बधाई। बस्तर संभाग का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) वर्ष 2015 में 27.4 था, जो घटकर 2024 में 7.11 हो गया है।
राज्य शासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बस्तर संभाग में मलेरिया धनात्मक दर 4.60 प्रतिशत से घटकर मात्र 0.46 प्रतिशत रह गई है। वहीं वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2024 में मलेरिया के मामलों में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है। राज्य का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) वर्ष 2015 में 5.21 था, जो घटकर 2024 में 0.98 हो गया है। बस्तर संभाग का API इसी अवधि में 27.4 से घटकर 7.11 तक पहुंचा है। 2023 की तुलना में 2024 में मलेरिया प्रकरणों में 8.52 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।बस्तर संभाग में मलेरिया की पॉजिटिविटी दर 35% से घटकर मात्र 4% रह गई है। 500 से अधिक गांव 100% मलेरिया मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। मलेरिया से होने वाली मृत्यु दर में 90% की कमी आई है। हॉस्पिटल में मलेरिया पीड़ितों के एडमिशन में 75% की गिरावट दर्ज की गई है। अत्यंत संवेदनशील और नक्सल प्रभावित जिला सुकमा में मलेरिया पॉजिटिविटी में 80% की गिरावट आई है।दंतेवाड़ा ज़िले के 150 गांव मलेरिया मुक्त घोषित किए जा चुके है।
मलेरिया पर कैसे विजय पा रही है छत्तीसगढ़ की साय सरकार
मलेरिया पर पूरी तरह से अंकुश लगाने प्रयास में बीजापुर ज़िले के स्कूलों में नियमित स्वास्थ्य जांच व दवा वितरण कार्यक्रम चलाया गया।कांकेर और नारायणपुर ज़िले में ट्राइबल वॉलिंटियर्स को मलेरिया मित्र के रूप में नियुक्त कर उनके माध्यम से गांवों में निगरानी प्रणाली बनाई गई।मलेरिया उन्मूलन में तकनीक और नवाचार को अपनाते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इस अभियान में आधुनिक तकनीक को भी शामिल किया। जियो टैगिंग और मोबाइल ऐप आधारित निगरानी प्रणाली से प्रत्येक घर की मलेरिया जांच को रिकॉर्ड किया गया। ड्रोन के माध्यम से जल जमाव वाले क्षेत्रों की पहचान और कीटनाशकों का छिड़काव किया गया। AI आधारित अलर्ट सिस्टम के जरिए संभावित मलेरिया क्लस्टर की भविष्यवाणी कर रोकथाम कार्य शुरू किया गया।
बस्तर में मलेरिया उन्मूलन को एक बड़ी उपलब्धि मानते हुए साय सरकार को मिली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सराहना
बस्तर में विष्णुदेव साय सरकार के नेतृत्व में चलाए गए मलेरिया उन्मूलन अभियान की चर्चा और सराहना न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी की जा रही है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बस्तर मॉडल को “बेस्ट प्रैक्टिस” के रूप में चिन्हित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी बस्तर में मलेरिया नियंत्रण के कार्यों की सराहना की और “कम्युनिटी सेंटर मॉडल” को अन्य आदिवासी क्षेत्रों में लागू करने की सिफारिश की।राज्य सरकार मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य कर रही है। राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान हमारी सरकार की जन-केंद्रित सोच और समर्पित स्वास्थ्य प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि बस्तर जैसे क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण में मिली यह सफलता स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों, मितानिनों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मेहनत का प्रमाण है।”
राज्य सरकार मलेरिया के स्थायी समाधान की दिशा में उठा रही है कदम
विष्णुदेव साय सरकार मलेरिया उन्मूलन में केवल अल्पकालिक उपलब्धियों पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीति पर भी कार्य कर रही है।प्रत्येक गांव में स्थायी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जा रही है। स्कूल स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत बच्चों की नियमित मलेरिया जांच कराई जा रही है। हर साल दो बार मलेरिया जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।हर घर में मच्छरदानी और स्वच्छ पेयजल की स्थायी व्यवस्था की जा रही है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर में मलेरिया उन्मूलन एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन चुका है। सरकार की दूरदर्शी नीति, तकनीक का उपयोग, जनभागीदारी और जमीनी कार्यशैली के कारण मलेरिया जैसी भयावह बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया है। यह अभियान भारत के अन्य जनजातीय और कठिन इलाकों के लिए प्रेरणास्रोत है। यदि यही गति बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब बस्तर न केवल मलेरिया मुक्त होगा, बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य बनकर उभरेगा।
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