रायपुर। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ में तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण और उससे हो रहीं मौतों के आँकड़ों के मद्देनज़र प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है. साय ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम की दिशा में पूरी ईमानदारी के साथ ठोस और सार्थक काम करने के लिए प्रदेश सरकार और कितनी मौतों का इंतज़ार कर रही है? रायपुर अब कोरोना कैपिटल बन चुका है, जहाँ रोज़ लगभग दो सौ कोरोना संक्रमितों की पहचान हो रही है, लेकिन उससे भी ज़्यादा चिंताजनक तो इस संक्रमण से हो रहीं मौतों के बढ़ते आँकड़े हैं. गुरुवार को ही राजधानी में आठ कोरोना मरीजों की मौत हुई है, बावज़ूद सरकार हालात को संज़ीदगी से नहीं ले रही है. राजधानी सहित पूरे प्रदेश में इन दिनों मौतों का मातम पसरा नज़र आ रहा है और प्रदेश सरकार अपने सियासी पाखंड रचने में ही तल्लीन है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि इस अगस्त माह में ही प्रदेश में औसतन 372 मरीज प्रतिदिन के हिसाब से कुल 4,466 मरीज मिले और अगर यही रफ़्तार रही तो माह के ख़त्म होते तक इस आँकड़े में 6,324 नए मरीजों की संख्या और जुड़ जाएगी. इस तरह अगस्त तक कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 20 हज़ार तक पहुँचने की आशंका घनीभूत होती दिख रही है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बयान पर पलटवार कर साय ने कहा कि जो सरकार कभी छत्तीसगढ़ की तुलना न्यूज़ीलैंड से करके कोरोना संक्रमण में अपनी बेहतरी के दंभपूर्ण दावे करती फिर रही थी, उस सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अब भी केंद्र सरकार के विरुद्ध सियासी प्रलाप कर इस बात पर खुश हो रहे हैं कि प्रदेश में केंद्र के अगस्त महीने में 63 हज़ार के अनुमान से कम मरीज मिलेंगे.

साय ने तंज कसते हुए पूछा कि कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या और मौतें क्या प्रदेश सरकार को झकझोरने के लिए पर्याप्त नहीं हैं? न्यूज़ीलैंड से तुलना करके छत्तीसगढ़ को बेहतर स्थिति में बताते हुए पूरी बेशर्मी के साथ श्रेय लूटने के लिए टूट पड़े प्रदेश कांग्रेस के नेता और सरकार के ‘स्वनामधन्य व स्वयंभू कोरोना प्लेयर्स’ अब कहाँ मुँह छिपाए बैठ गए हैं? हालात इतने बदतर हो चले हैं नारकीय यंत्रणा के प्रतीक बन चुके क्वारेंटाइन सेंटर्स के बाद अब कोविड-19 अस्पताल में भी लोग आत्महत्याएँ कर रहे हैं, इलाज के अभाव में मरीज तड़प-तड़कर मरने के ले विवश हो रहे है, लेकिन नाकारा प्रदेश सरकार इसकी ज़िम्मेदारी तक लेने में अब कतरा रही है.

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्ष की चिंताओं व सुझावों की खिल्ली उड़ाते हुए और ‘परिवार’ की चाटुकारिता करते हुए प्रदेश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए टिप्स की माला जपते घूम रहे थे, वे टिप्स अब प्रदेश में कारग़र सिद्ध क्यों नहीं हो रहे हैं? साय ने सवाल किया कि केंद्र सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की सलाह देने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ज़रा छत्तीसगढ़ में इन्फ्रास्ट्रक्चर की दुर्गति पर भी कुछ ज्ञान बाँटें जहाँ गुरुवार को ही राजधानी में एक गर्भवती महिला की एंबुलेंस में ही मौत हो जाने की घटना सामने आई है.

राजधानी के पंडरी सिथित ज़िला अस्पताल में शिफ्ट किए गए अंबेडकर अस्पताल के गायनिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स की तरफ से बरती गई लापरवाही प्रदेश सरकार की संवेदनशून्य कार्यप्रणाली का एक और कलंकपूर्ण नमूना है. एम्बुलेंस में गर्भवती महिला का शव डेढ़ घंटे तक पड़ा रहा, लेकिन डॉक्टर्स ने गर्भ में पल रहे शिशु को बचाने की कोई कोशिश ही नहीं की. मृत महिला के शव तक को डॉक्टर्स ने हाथ भी नहीं लगाया और आपात चिकित्सा के बजाय ओपीडी में ही मशगूल रहे. साय ने कहा कि प्रदेस में स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाली और बदइंतज़ामी के चलते ध्वस्त हो चली हैं. आयुष्मान भारत और स्मार्ट कार्ड से इलाज की सुविधा छीन लेने वाली सरकार अपने वादे और दावे के बावज़ूद अब ग़रीबी रेखा वाले परिवारों को राशन कार्ड से भी इलाज की सुविधा नहीं दे रही है.