चंद्रकांत/बक्सर: समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी के विरोध में क्षत्रिय समाज में व्यापक आक्रोश देखने को मिल रहा है. देश भर में करणी सेना सहित कई क्षत्रिय संगठनों ने इस बयान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अब इस आंदोलन को राष्ट्रवादी संगठन विश्वामित्र सेना ने क्षत्रिय संगठनों के इस अभियान को खुला समर्थन देने की घोषणा की है.
‘सनातन संस्कृति का अपमान है’
दरअसल, प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चौबे ने कहा कि सपा सांसद का यह बयान क्षमा योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राणा सांगा जैसे महान योद्धा का नहीं, बल्कि समूचे क्षत्रिय समाज और सनातन संस्कृति का अपमान है. उन्होंने कहा कि राणा सांगा भारतीय इतिहास में वीरता और स्वाभिमान का प्रतीक रहे हैं, ऐसे महापुरुष के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर सपा सांसद ने अपनी मानसिकता को उजागर किया है.
‘सनातन मूल्यों पर हमला है’
राजकुमार चौबे ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा इस बयान को समर्थन देना और चुप्पी साधे रहना यह साबित करता है कि पार्टी की मंशा राष्ट्रवादी विचारधारा को चोट पहुंचाने की है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक वर्ग नहीं, बल्कि समूचे राष्ट्रवाद और सनातन मूल्यों पर हमला है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
‘विश्वामित्र सेना विरोध करती है’
विश्वामित्र सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि उनका संगठन लंबे समय से सनातन संस्कृति और राष्ट्रवादी विचारधारा की रक्षा में सक्रिय है और आगे भी रहेगा. उन्होंने कहा कि जब भी कोई शक्ति इस विचारधारा पर चोट करती है, विश्वामित्र सेना मुखर होकर उसका विरोध करती है. इस प्रकरण में भी वह क्षत्रिय संगठनों के हर निर्णय और अभियान में उनके साथ खड़ी है.
‘सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगे’
आगे उन्होंने कहा कि यह समय क्षत्रिय समाज की एकता और शक्ति प्रदर्शन का है. यदि ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो राष्ट्रवादी संगठनों को देशभर में आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा. उन्होंने सरकार से मांग की कि सांसद रामजी लाल सुमन अपने शब्दों के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगे और समाजवादी पार्टी इस विषय पर स्पष्ट रुख पेश करे.
देशव्यापी आंदोलन में तब्दील
बक्सर से उठी यह आवाज अब देशव्यापी आंदोलन में तब्दील होती दिख रही है, जिसमें राष्ट्रवादी संगठनों के साथ-साथ सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाएं भी शामिल हो रही हैं. क्षत्रिय संगठनों ने साफ किया है कि राणा सांगा जैसे राष्ट्रनायक का अपमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा.
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