आशुतोष तिवारी, जगदलपुर– नक्सलियों की धमकी के बावजूद ग्रामीण वोट करने लिए अपने घरों से निकले. कई किलोमीटर चलकर अपना सच्चे देशवासी का फर्ज निभाया. लेकिन वोटिंग के बाद ऐसा नजारा दिखा, जो नक्सली खौफ को साफ बयां कर रहा था. ग्रामीण मतदान अधिकारी द्वारा लगाए गए अमित स्याही को ककड़ से मिटा रहा था. ताकि नक्सली उसे वोट डालने की वजह से प्रताड़ित न करे.

बता दें कि नक्सलियों ने ग्रामीणों को धमकी दी थी कि कोई वोट ना डाले, अगर आदेश की अवहेलनी की जाती है तो उंगली काट दी जाएगी. इसी से बचने के लिए ग्रामीण कंकड़ अमिट स्याही को मिताने की कोशिश कर रहा था. ऐसा ही नजारा विधानसभा चुनाव के चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था. विधानसभा चुनाव में लाल फरमान की परवाह किए बिना वोट डालने के लिए घरों से निकल कर आए थे.

झीरम घाट का ये इलाका कई बड़ी नक्सल वारदातों को झेल चुका है. यही वजह है कि एलंगनार गांव के पोलिंग बूथ को 20 किलोमीटर दूर टाहकवाडा में शिफ्ट किया गया है. एलंगनार के 357 मतदाताओं में से 200 से अधिक मतदाताओं ने अब तक अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया है. हालांकि ये ग्रामीण अब भी पूरी तरह नक्सली दहशत से उबर नहीं पाए हैं. कुछ ग्रामीण वोटिंग के बाद अपनी उंगली पर लगी स्याही को पत्थर से घिस मिटाते दिखे.

नेताओं की बेरुखी और ग्रामीणों के लोकतंत्र पर विश्वास की एक तस्वीर बस्तर में देखने को मिली है. जहां ग्रामीणों को वोट देने के लिए 10 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ा, वो भी तब जब नक्सलियों ने मतदान ना करने का फरमान जारी किया है. ये पूरा मामला है सुकमा जिले के झीरम घाट इलाके की, वहीं झीरम घाट जहां नक्सलियों ने 25 मई 2013 को बड़े नक्सली हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था. इसी पहाड़ी इलाके पर गांव एलंगनार मौजूद है, आजादी के बाद से आज तक यहां सड़क नहीं बना है.

एक हजार की आबादी वाले इस गांव को अपनी छोटी से छोटी जरूरत के लिए भी 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता है. आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि इस गांव तक नही पंहुचा है. इसके बावजूद आज ये ग्रामीण बड़ी संख्या में वोट देने अपने घरों से बाहर निकले हैं. इन ग्रामीणों को उम्मीद है कि इनके वोट देने से शायद इनके इलाके में सड़क बन जाए.

देखिए वीडियो-

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