Vrishchik Sankranti 2024: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. सूर्य भगवान एक राशि में 30 दिन तक रहते हैं. इसके बाद वे एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं. 16 नवंबर को सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. जब सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर करते हैं तो उस गोचर को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए और जल चढ़ाना चाहिए.

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. साथ ही करियर और बिजनेस को नया आयाम मिलता है. कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 नवंबर को सुबह 7:41 बजे सूर्य तुला राशि को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. सूर्य देव 14 दिसंबर तक इसी राशि में रहेंगे. अगले दिन 15 दिसंबर को सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे.

Vrishchik Sankranti का शुभ समय

वृश्चिक संक्रांति तिथि पर शुभ समय सुबह 6 बजकर 45 मिनट से 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. जबकि वृश्चिक संक्रांति महापुण्यकाल सुबह 6:45 से 7:41 बजे तक रहेगा. इस दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और पूजा करने के बाद दान कर सकते हैं.

वृश्चिक संक्रांति पूजा विधि

सुबह उठकर स्नान करें और सूर्य देव की पूजा करें. तांबे के लोटे में जल डालें और उसमें लाल चंदन, रोली, हल्दी और सिन्दूर मिलाकर भगवान सूर्य को अर्पित करें. फिर सूर्य भगवान की धूप-दीप से आरती करें और सूर्य भगवान के मंत्रों का जाप करें. फिर घी और लाल चंदन का लेप लगाएं और भगवान के सामने दीपक जलाएं. सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं और अंत में गुड़ के हलवे का भोग लगाएं.

वृश्चिक गोचर का महत्व :Vrishchik Sankranti

हिंदू धर्म में सभी संक्रांतियों की तरह वृश्चिक संक्रांति का भी विशेष महत्व है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा करते हैं और दान करते हैं. वृश्चिक संक्रांति के दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए कई अनुष्ठान भी करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा और मंत्र जाप करने से कई गुना पुण्य मिलता है.