
मुंबई. सोनी सब के लोकप्रिय शो ‘वागले की दुनिया – नई पीढ़ी, नए किस्से’ में रोमांचक मोड़ आने वाले हैं. साईं दर्शन सोसाइटी होली के भव्य आयोजन की तैयारी कर रही है. सोसाइटी के सभी लोग एकजुट होकर दक्षेश (दीपक पारेख) की असफल जादू की ट्रिक ठीक करने में मदद करते हैं, और इस प्रक्रिया में असली जादूगर, जिसने मंत्रों की किताब लिखी थी, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जादूगरों की लुप्त होती कला को फिर जीवंत करने से साईं दर्शन सोसाइटी में सबकुछ सामान्य लगता है… या शायद नहीं!

इस हफ्ते, वागले परिवार भरोसे और धोखे के जाल में फंसता नजर आएगा, जब सखी (चिन्मयी साल्वी) का पीछा करने वाला सुशांत (शिखर पटेल) अचानक वापसी करता है. वह दावा करता है कि अब वह बदल चुका है और खुद को साबित करने के लिए राधिका (भारती आचरेकर) को वापस लाता है, जो कुछ समय के लिए लापता हो गई थीं. राजेश (सुमित राघवन), सुशांत की असली पहचान से अनजान, उसकी इस नेकदिली से प्रभावित होकर उसे खुले दिल से अपने घर में स्वीकार कर लेते हैं. दूसरी ओर सखी इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से स्तब्ध रह जाती है, लेकिन वह सुशांत को दूसरा मौका देने का फैसला करती है और चुप रहती है. वहीं, विवान (नमित शाह) को सुशांत पर भरोसा नहीं होता और वह उसकी हर गतिविधि पर नजर रखता है. जैसे-जैसे होली का उत्साह चरम पर पहुंचता है, क्षमा और छिपे हुए इरादों के बीच की रेखा धुंधली होती जाती है. आखिरकार, सुशांत भेष बदलकर साईं दर्शन सोसाइटी के होली समारोह में घुसपैठ कर लेता है.
अब सवाल यह है कि क्या सखी का सुशांत पर भरोसा ठीक है, या वह एक खतरनाक गलती कर बैठी है? क्या विवान की आशंका सही साबित होगी? जब वागले परिवार को सच्चाई पता चलेगी, तो क्या होगा?
राजेश वागले की भूमिका निभा रहे सुमित राघवन ने कहा, “राजेश ऐसा इंसान है, जो हमेशा दूसरों में अच्छाई देखने की कोशिश करता है. वह बहुत जल्दी किसी पर भरोसा कर लेता है, कभी-कभी तब भी जब उसे नहीं करना चाहिए. यह ट्रैक खासतौर पर दिलचस्प है, क्योंकि यह उसकी इसी आदत की परीक्षा लेता है. होली खुशी और रंगों का त्यौहार होता है, लेकिन वागले परिवार के लिए यह एक सस्पेंस से भरा मोड़ ले लेता है. राजेश एक ऐसे व्यक्ति को अपने घर में खुली बाहों से स्वीकार करता है, जिसे वह असल में जानता ही नहीं. और यह इंसान उसकी अपनी बेटी के लिए खतरा बन सकता है! जिस तरह कहानी आगे बढ़ती है और तनाव बढ़ता जाता है, वह दर्शकों को लगातार बांधे रखेगा. जो त्योहार आनंद से शुरू हुआ था, वह एक अप्रत्याशित मोड़ लेता है, जिससे यह होली चौंकाने वाले खुलासों से भर जाती है.”