पुरूषोत्तम पात्र, गरियाबंद। शिक्षक की कमी के चलते शिक्षा का हाल किसी से नहीं छुपा है. इस बीच अपने गांव के बच्चों की शिक्षा में सुधार आ सके इसके लिए कोडकीपारा पंचायत के आश्रित ग्राम सरगी बेहली में रहने वाले 75 वर्षीय बुजुर्ग दिवाधर चुरपाल नि:शुल्क अतिरिक्त क्लास लगा रहे हैं. गांव के बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं.

चूरपाल कहते हैं कि प्रमोशन क्लास पद्धति ने शिक्षकों को आलसी बना दिया है. शिक्षक की कमी ऊपर से अध्यापन के अलावा अतिरिक्त जिम्मेदारी भी अध्यापन कौशल को प्रभावित किया है. बच्चों में ज्ञान अर्जित करने की ललक होती है, उन्हें सिखाने वाले चाहिए. ये बात मुझे जब से समझ में आया है, तब से मैं दो वक्त समय निकाल कर पिछले 3 साल से अपने आंगन में गांव के बच्चों को अध्यापन कराता हूं.

वर्तमान में गांव के 25 छात्र जो कक्षा 1 से लेकर 6 तक पढ़ने वाले हैं. वो रोजाना आते हैं. पालकों ने भी माना है महंगे ट्यूशन के विकल्प में उनके बच्चों को गांव के चूरपाल जी का निशुल्क क्लास मिला है. लोग इन्हें मास्टर जी कह कर संबोधित करते हैं.

गांव के प्रथम सरपंच का ओहदा हासिल है
दिवाधर चूरपाल 1965 में 11 वी पास हैं।1973 में उनकी शिक्षक में नौकरी भी लग गई, लेकिन पारिवारिक कारणों से दो साल के भीतर नौकरी छोड़ परिवार में समय देने लगे. 1978 में सरपंच मनोनित हुए थे. 1982 तक सरपंच पद पर रहे.

1982 से 1988 तक देवभोग जनपद के उपाध्यक्ष बन कर विकास खंड के विकास में सहभागिता दी. कांग्रेस संगठन में भी बड़े ओहदे पर रहे, लेकिन समय के साथ वे राजनीति से दूर होकर अब गांव के बच्चो के भविष्य संवारने में जुटे हुए हैं.

सम्मानित करेंगे ताकि और लोग सामने आएं

बीईओ देवनाथ बघेल ने कहा की गांव के पढ़े लिखे लोग शिक्षा दान करें. उनके लिए विद्यांजली योजना भी चलाई जा रही है. अभी तक उनके बारे कोई जानकारी नहीं मिली थी. चूरपाल जी सम्मान के हकदार हैं. अपने स्तर पर हम उनका सम्मान करेंगे.

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