कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। भाजपा कार्यकर्ता और सिंधिया समर्थक संजय शर्मा और दिलीप शर्मा को ग्वालियर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने दोनों नेताओं की सुरक्षा वापस लेने के साथ ही दो करोड़ 55 लाख रुपए की वसूली के आदेश भी दिए है। कोर्ट में 2012 में दोनों नेताओं ने याचिका लगाकर सुरक्षा मांगी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि “ग्वालियर चंबल का क्षेत्र जो कभी बागी और बंदूक के लिए था मशहूर…अब यहां लाल बत्ती में सुरक्षा कर्मियों के साथ घूमना स्टेटस सिंबल”। बिना किसी वजह के किसी की सुरक्षा में पुलिसकर्मियों के तैनात किए जाने से अच्छा है कि महिलाओं की सुरक्षा में इन पुलिस कर्मियों को लगाया जाए, ताकि जिन इलाकों में महिलाओं के साथ ज्यादा छेड़छाड़ की घटना होती है वहां पर यह पुलिसकर्मी तैनात रहकर उन्हें सुरक्षित माहौल दे सकेंगे और शहर में इस तरह की घटनाओं में काफी राहत मिल सकेगी।

दोनों रियल इस्टेट कारोबारी

दरअसल महलगांव के रहने वाले दिलीप शर्मा और संजय शर्मा रियल एस्टेट कारोबारी है। इसके चलते उन्हें कई बार धमकियां मिलती रहती हैं और कुछ लोग रंगदारी भी मांगते हैं। इसी तरह के एक विवाद में संजय शर्मा के बेटे रोहित की हत्या भी कर दी गई थी। साल 2005 में इस घटना की एफआईआर दर्ज हुई, जिसके बाद उन्होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की। उन्हें चार पुलिसकर्मी सुरक्षा में दे दिए गए, जिनके लिए उन्हें रोजाना के हिसाब से भुगतान करना था। जब हत्या करने वाले आरोपियों को सजा हुई तो याचिकाकर्ताओ ने पुलिस सुरक्षा को यह कहते हुए जारी रखा कि आरोपियों को आजीवन कारावास हुआ है। ऐसे में संभव है वह बदला लेने की नीयत से उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस तरह कभी मिलती कभी हटती पुलिस सुरक्षा उनके पास बनी रही।

सुरक्षा हमेशा के लिए नहीं दी जा सकती

हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान शासन की ओर से भी अपना रिप्लाई पेश किया गया और कोर्ट को बताया गया कि संजय और दिलीप शर्मा दोनों ही अपनी सुरक्षा करने में सक्षम है। इनके पास रिवाल्वर राइफल सहित तीन बंदूके है, लेकिन वह अपने कारोबार के चलते होने वाले प्रॉपर्टी के विवादों को लेकर पुलिस सुरक्षा लिए हुए हैं। जो वास्तविक समस्या थी उसमें सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है, इस हिसाब से उन्हें किसी भी तरह का खतरा नहीं है। लिहाजा कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि याचिकर्ताओं के परिवार के सदस्य की हत्या कर दी गई, जिसके लिए उन्होंने सुरक्षा की मांग भी की थी और उन्हें सुरक्षा भी मिली थी, लेकिन यह सुरक्षा हमेशा के लिए नहीं दी जा सकती। यह सब देखकर यह लग रहा है कि याचिकाकर्ता इसका दुरुपयोग कर रहे हैं, वह पुलिस सुरक्षा को अपने निजी लाभ के लिए बतौर ट्रॉफी प्रदर्शित कर रहे हैं।

वास्तव में सुरक्षा की जरूरत है भी या नहीं

हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए संजय शर्मा और दिलीप शर्मा से तत्काल पुलिस गार्ड की सुरक्षा वापस लेने के निर्देश दिए, साथ ही डीजीपी और होम सेक्रेटरी को निर्देशित किया कि इनसे फीस की राशि लगभग दो करोड़ 55 लाख रुपए भी वसूले जाएं। हाई कोर्ट ने इसके साथ ही एक और सख्त आदेश दिया कि जब भी किसी को पुलिस सुरक्षा दी जानी हो तो पहले इस बात की पूरी जांच की जाए कि वास्तव में उसे सुरक्षा की जरूरत है भी या नहीं।

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