जेल में बंद क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे आंग्मो ने उनके खिलाफ लगाए गए ‘पाकिस्तान कनेक्शन’ और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है। गीतांजलि आंग्मो ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने के आरोप को ‘भ्रामक’ बताते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा ‘बिल्कुल गांधीवादी तरीके’ से आंदोलन किया है और 24 सितंबर को हालात केंद्रीय अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ) की कार्रवाई के कारण बिगड़े।

गौरतलब है कि वांगचुक को शुक्रवार को सख्त नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। यह कदम तब उठाया गया जब बीते बुधवार को लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए आंदोलन के दौरान लेह में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और 90 लोग घायल हो गए। वांगचुक, जो पिछले पांच वर्षों से लद्दाखियों के अधिकारों की लड़ाई का प्रमुख चेहरा रहे हैं, को राजस्थान के जोधपुर जेल में रखा गया है।

पीटीआई से फोन पर बातचीत में आंग्मो ने बताया कि हिरासत के बाद से उनका अपने पति से कोई संपर्क नहीं हो पाया है और उन्होंने वांगचुक और उनके संस्थानों पर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) की सह-संस्थापक आंग्मो ने कहा, ‘हमें अभी तक हिरासत आदेश की कॉपी नहीं दी गई है। उन्होंने शुक्रवार को भेजने का वादा किया था। हम कानूनी रास्ता अपनाएंगे’

पुलिस के आरोप और पाकिस्तान लिंक का मुद्दा

लद्दाख डीजीपी एस. डी. सिंह जमवाल ने दावा किया है कि वांगचुक के खिलाफ जांच की जा रही है कि कहीं उनका पाकिस्तान से संबंध तो नहीं है। यह संदेह एक पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव (PIO) की पिछले महीने गिरफ्तारी के बाद गहराया, जिसने वांगचुक के प्रदर्शनों के वीडियो पाकिस्तान भेजे थे। पुलिस प्रमुख ने वांगचुक की कुछ संदिग्ध विदेश यात्राओं का भी जिक्र किया, जिसमें पाकिस्तान की यात्रा भी शामिल है, जब वे ‘द डॉन’ के एक कार्यक्रम में गए थे।

गीतांजलि ने पीटीआई से फोन पर बातचीत में कहा कि गिरफ्तारी के बाद से उनसे संपर्क नहीं हो पाया है और अभी तक गिरफ्तारी आदेश की प्रति भी नहीं मिली है। वांगचुक की पाकिस्तान यात्रा पेशेवर और जलवायु परिवर्तन के विषय पर थी, न कि किसी संदिग्ध गतिविधि के लिए।

उन्होंने यह भी बताया कि वांगचुक और वे दोनों कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेते रहे हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन भी शामिल है। उन्होंने पाकिस्तान में हुए ‘Breathe Pakistan’ सम्मेलन और आईसीआईएमओडी जैसे संगठनों के साथ सहयोग को भेदभावपूर्ण तरीके से पेश करने पर आपत्ति जताई।

गीतांजलि ने बताई हिंसा की असल वजह

गीतांजलि ने एनएसए के तहत गिरफ्तारी को गलत बताया और कहा कि उनका पति शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए सरकार से लद्दाख के लिए किए गए वादों को याद दिलाते रहे हैं। आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा सीआरपीएफ द्वारा आंसू गैस चलाने के बाद भड़क उठी, जबकि वांगचुक को गैर-शांतिपूर्ण गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी।

वांगचुक के कथित अपमानजनक भाषण के आरोपों को भी उन्होंने गलत बताया और कहा कि उनके शब्दों को गलत संदर्भ में पेश किया गया है। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि जो व्यक्ति भारतीय सेना के लिए शेल्टर बनाने और चीनी सामान के बहिष्कार की बात करता है, उसे कैसे देशद्रोही ठहराया जा सकता है।

वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर गीतांजलि ने अपने संस्थान हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग की विदेश से मिली फंडिंग की स्पष्ट सफाई दी और कहा कि यह दान नहीं बल्कि तकनीकी सेवाओं के लिए भुगतान है। कहा कि संस्था द्वारा छात्रों से कोई फीस नहीं ली जाती और संचालन के खर्चे नवाचारों के जरिए जुटाए जाते हैं।

यूजीसी पंजीकरण की प्रक्रिया अभी भी लंबित है और भूमि आवंटन भी प्रशासन की दिक्कतों के कारण नहीं हो पाया है। स्पष्ट किया कि वांगचुक विकास के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे स्थानीय लोगों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने वाले ‘माइंडफुल डेवलपमेंट’ की पैरवी करते हैं। चार सितंबर की हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने वांगचुक के द्वारा स्थापित एसईसीएमओएल का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया था, जिसके बाद वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे।

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