रायपुर। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। पूजा के साथ ही 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है, गाय को खिचड़ी खिलाई जाती है। देश के ज्यादातर हिस्सों में इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसे करें पूजा
गोवर्धन पूजा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाए जाने का चित्र बनाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन, गाय और भगवान श्री कृष्ण की जल, सिंदूर, रोली, चावल, दूध, दही, फूल, फल और दीपक जलाकर पूजा की जाती है। 56 या 108 प्रकार का भगवान को भोग लगाया जाता है।
यह है मान्यता
गोवर्धन पूजा को लेकर मान्यता है कि बृज में हर साल इंद्र की पूजा की जाती थी। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के घमंड को चकना चूर करने के उन्होंने बृजवासियों को इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था। जिससे कुपित होकर इन्द्र ने भीषण बारिश की, बारिश से पूरे बृज में हाहाकार मच गया। बृजवासियों और पशुओं को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने छोटी उंगली में विशाल गोवर्धन पर्वत उठाकर सबकी रक्षा की थी। जिसके बाद से ही हर साल दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।
मान्यता है कि विधि पूर्वक सच्चे मन से पूजा करने पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है और वे हर संकट से रक्षा करते हैं। इसके साथ ही जीवन में सुख समृद्धि भी प्रदान करते हैं।