Waqf Amendment Bill: वक्फ को लेकर बनाई गई जेपीसी यानी संसद की संयुक्त समिति की बैठक के दौरान एक बार फिर जमकर हंगामा हुआ। जिसके चलते जेपीसी कमेटी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कल्याण बनर्जी, ओवैसी समेत 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं जगदंबिका पाल ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों ने उनके खिलाफ असंसदीय शब्द इस्तेमाल किए और गालियां भी दी।
शुक्रवार को वक्फ की जेपीसी की बैठक हुई। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ। मीटिंग में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी (Kalyan Banerjee) ने पूछा कि बैठक को इतनी जल्दबाजी में क्यों बुलाया जा रहा है। इस पर निशिकांत दुबे ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हालात ऐसे बन गए कि मार्सल को बुलाना पड़ा। इसके बाद बैठक को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया। वहीं जेपीसी कमेटी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कल्याण बनर्जी, ओवैसी समेत 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है।
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JPC अध्यक्ष ने TMC सांसद पर लगाए गंभीर आरोप
इस पर जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि हमने सदन को दो बार स्थगित किया। कल्याण बनर्जी ने मेरे खिलाफ असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया, मुझे गाली दी। मैं उनसे अनुरोध करता रहा कि उन लोगों को बोलने दें, जिन्हें हमने आमंत्रित किया था। हमने सदन को बार-बार स्थगित किया, लेकिन वे नहीं चाहते थे कि बैठक जारी रहे। जम्मू-कश्मीर से एक प्रतिनिधिमंडल आया था, लेकिन वे चिल्लाते और नारे लगाते रहे इसलिए आखिरकार निशिकांत दुबे को प्रस्ताव पेश करना पड़ा और सभी ने इस पर सहमति जताई।
जगदंबिका ने आरोपों को बताया निराधार
वहीं कमेटी के चेयरपर्सन जगदंबिका पाल ने विपक्षी सांसदों के आरोपों को निराधार बताया हैं। उन्होंने कहा कि कमेटी के तमाम सदस्यों के कहने के बाद ही मीरवाइज उमर फारूकी को कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। जगदंबिका पाल ने कहा कि एक तरफ विपक्षी सांसद कहते हैं कि मुस्लिम संगठनों को बोलने का मौका नहीं मिलता और जब हम मौका दे रहे हैं तो उस पर यह हंगामा कर रहे हैं।
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विपक्षी दलों ने की थी ये मांग
दरअसल, वक्फ पर बनी जेपीसी में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा हंगामे के पीछे का मुख्य कारण समिति के सदस्यों की ये मांग थी कि रिपोर्ट एडॉप्ट की तारीख को 31 जनवरी किया जाए। समिति की रिपोर्ट तैयार करने से पहले क्लॉज दर क्लॉज अमेंडमेंट पर चर्चा के लिए पहले 24 और 25 जनवरी की तारीख तय की गई थी, लेकिन कल गुरुवार की देर रात तारीख को बदलकर 27 जनवरी कर दिया था। विपक्षी दलों के सांसदों की ये मांग थी कि क्लॉज बाय क्लॉज के लिए बैठक 27 जनवरी की जगह 31 जनवरी कर दिया जाए। समिति के अध्यक्ष विपक्षी दलों के सांसदों की मांग के लिए तैयार नहीं थे। पहले के तय कार्यक्रम के मुताबिक आज 24 जनवरी को क्लॉज बाय क्लॉज अमेंडमेंट एडॉप्शन किया जाना तय था लेकिन आज मीरवाइज फारूक के नेतृत्व में कश्मीर के मुस्लिम स्कॉलर्स को समिति के सामने बात रखने का मौका दिया गया।
TMC सांसद ने क्या कहा ?
कार्यवाही से बाहर हुए TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की कार्यवाही एक तमाशा बन गई है। उन्होंने मांग की कि 27 जनवरी को निर्धारित बैठक को 30 जनवरी या 31 जनवरी तक के लिए टाल दिया जाए। हालंकि, बीजेपी सदस्य निशिकांत दुबे ने विपक्षी सदस्यों की आलोचना की और कहा कि उनका आचरण संसदीय परंपरा के खिलाफ है और वे बहुमत की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
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गणतंत्र दिवस के बाद बैठक की मांग
विपक्ष की ओर से लोकसभा में DMK के मुख्य सचेतक ए राजा ने 24 और 25 जनवरी की बैठक स्थगित करने की मांग की है। जगदंबिका पाल को लिखे लेटर में राजा ने कहा- “यह कहने की जरूरत नहीं है कि पटना, कोलकाता और लखनऊ में जेपीसी के दौरे 21 जनवरी को ही पूरे हो गए थे। अजीब बात यह है कि तारीखों के ऐलान बिना जेपीसी की अगली बैठक जल्दबाजी में की गई, जबकि जेपीसी पहले से ही दौरे पर थी।
संसद में इस दिन पेश होगी रिपोर्ट
आपको बता दें कि समिति के 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्यों में से 13 विपक्षी दलों से हैं। निचले सदन में नौ और उच्च सदन में चार सदस्य हैं। माना जा रहा है कि समिति आगामी बजट सत्र में अपनी 500 पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है। वक्फ पर बनी इस समिति ने दिल्ली में 34 बैठकें की हैं और कई राज्यों का दौरा किया है, जहां 24 से अधिक हितधारकों को बुलाया गया था। यूपी के लखनऊ में हुई मीटिंग के बाद अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा था कि 24 जनवरी को JPC की आखिरी बैठक होगी। इसके बाद वे 31 जनवरी को होने वाले बजट सत्र के दौरान संसद में रिपोर्ट पेश होगी। जगदंबिका पाल ने कहा कि बीते छह माह में हमने अकेले दिल्ली में 34 बैठकें की हैं। जेपीसी सभी चर्चाएं अच्छे माहौल में हुई हैं। मुझे उम्मीद है हमारी रिपोर्ट से लोगों को फायदा होगा।
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