Waqf Board Amendment Bill 2024. मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक (waqf board amendment bill 2024) लोकसभा में पेश कर दिया है. 8 अगस्त 2024 दोपहर 1 बजे अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने लोकसभा में वक्फ एक्ट (Waqf Act) संशोधन बिल को पेश किया. बिल पेश होते ही I.N.D.I.A. और ओवैसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक (waqf board amendment bill 2024) का विरोध किया है. कांग्रेस ने इसे संविधान पर हमला करार दिया. इधर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे और बीजेपी के मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा ने संशोधन विधेयक को लेकर प्रतिक्रिया दी है.
मोहसिन रजा ने कहा कि हम इस बिल का स्वागत करते हैं. पुराना वक्फ कानून कांग्रेस का पाप था. कांग्रेस ने पाकिस्तान बनवाने के बाद ‘वक्फकिस्तान’ बनवाने की तैयारी की थी, जिसे आज समय रहते मोदी सरकार ने ध्वस्त करने का काम किया है. उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में इतना सशक्त कोई और बोर्ड नहीं है और ना किसी के पास इतनी संपत्ति है. ना सऊदी अरब में ना ओमान में. लेकिन हिंदुस्तान में ये काम कांग्रेस ने किया था. इसके पीछे कांग्रेस की एक साजिश थी कि एक और विभाजन कराया जाए. कांग्रेस एक विभाजन पहले कराकर पाकिस्तान बना चुकी थी. अब वक्फ के जरिए ‘वक्फकिस्तान’ बनाया जा रहा था.
4 से 8 लाख 65 हजार एकड़ हुई बोर्ड की संपत्ति
मोहसिन रजा ने कहा कि 1995 के वक्फ एक्ट और 2013 के संशोधन में जो बदलाव लाया जा रहा है वह देशहित और जनहित में है. पुराना वक्फ कानून कांग्रेस की एक सोची समझी साजिश थी. कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को जो अधिकार दिए थे, उन अधिकारों के माध्यम से देशभर में संपत्तियां अर्जित की गईं. पूरे देश के अंदर तमाम वो संपत्तियां भी जो वक्फ के दायरे में नहीं आती थीं, उन्हें भी वक्फ बोर्ड ने हासिल कर लिया. महज एक दशक में ये संपत्तियां 4 लाख एकड़ से 8 लाख 65 हजार एकड़ से ज्यादा हो गई.
वक्फ बोर्ड क्या है?
वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमन के लिए बनाया गया कानून है. इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है. ताकि धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इन संपत्तियों का उपयोग हो सके. वक्फ एक अरबी शब्द है. जिसका अर्थ है ‘रोकना’ या ‘समर्पण करना’. इस्लाम में वक्फ संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में समर्पित की जाती है. जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों, गरीबों की मदद, शिक्षा आदि के लिए किया जाता है. वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है. यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है.
वक्फ बोर्ड को कब अधिकार मिले?
2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाया और वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दिए थे. अभी बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है. तर्क यह दिया जाता है कि ये संपत्ति किसी जरूरतमंद मुस्लिम की भलाई के लिए होगी. हालांकि देखा गया कि प्रभावशाली लोग इन संपत्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. कई संपत्तियों को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद भी सामने आया. वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है. यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था. एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है.
क्या गड़बड़ियां सामने आ रहीं?
सरकार को पता चला है कि राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के व्यापक अधिकार मिले हैं, जिसकी वजह से अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी हो रही है सरकार ने संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया है. वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है, लेकिन ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है. कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है. अगर बोर्ड किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती. अब तक वक्फ प्रॉपर्टी की ना तो राज्य, ना केंद्र सरकार और ना अदालत जांच कर पाती है. मांग उठाई गई कि इस तरह की कमेटी होनी चाहिए जो रेवन्यू की जांच करे, वक्फ में ट्रांसेरेन्सी हो. वक्फ प्रॉपर्टी सिर्फ मुस्लिमों के भले के लिए होनी चाहिए.
वक्फ से जुड़ी शिकायतें
- WAMSI पोर्टल पर 58000 से ज्यादा शिकायतें
- राज्य बोर्डों में 12700 से ज्यादा लंबित मामले
- न्यायाधिकरणों में 18400 से ज्यादा मामले
- SC/HC में 165 से ज्यादा मामले.
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