रोहित कश्यप, मुंगेली। नगर पालिका मुंगेली में इन दिनों भाजपा और कांग्रेस नेता के बीच अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर लड़ाई चल रही है. कुर्सी की रस्साकशी और खींचातानी का ये मसला लोगों को अब किसी फिल्मी ड्रामा से कम नहीं लग रहा है. वहीं नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पहले यहां जो चल रहा है उससे नगर निकाय चुनाव से ठीक पहले नगर की राजनीति भी हाई हो गई है.
जानिए क्या है पूरा घटनाक्रम
ये पूरा मसला शिक्षक की नौकरी छोड़कर बीजेपी में आये संतुलाल सोनकर और कांग्रेसी नेता हेमेन्द्र गोस्वामी के बीच का है. उलटफेर के साथ नगर में राजनैतिक उफान तब आया जब 15 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने सन्तुलाल सोनकर को नगर पालिका अध्यक्ष का पदभार ग्रहण कराय. अब इसके ठीक दो दिन बाद हेमेंद्र गोस्वामी हाईकोर्ट का एक आदेश लेकर कांग्रेसी नेताओं के साथ कलेक्टर राहुल देव के पास पहुंच गया और हाथ में रखे हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहने लगे कि 2022 से वे निर्वाचित नगर पालिका के अध्यक्ष है और कोर्ट ने उन्हें नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में यथावत बने रहने को लेकर 16 अक्टूबर को फैसला दिया है. इस लिहाज से संतुलाल सोनकर को नगर पालिका से हटाया जाए.
हेमेन्द्र गोस्वामी और कांग्रेसी नेता इस जिद पर अड़े नजर आए कि यदि संतुलाल को नही हटाया गया तो मैं नगर पालिका में जाकर दो एक दिन बाद अध्यक्ष के रूप में बैठूंगा. इसके पीछे हेमेन्द्र का दलील था कि वह निर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष है. पार्षदों ने निर्वाचन प्रकिया के तहत उन्हें अध्यक्ष के रूप में चुना है. ऐसे में उनका कहना है कि बिना उन्हें हटाये या बिना किसी नोटिस दिए संतुलाल सोनकर को नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण कराया गया है, लेकिन वे भी अध्यक्ष नहीं है. ऐसी कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
कलेक्टर ने क्या कहा …
इधर अब कलेक्टर राहुल देव ने इस मसले से जुड़े मीडिया के सवालों के जवाब पर कहा कि सन्तुलाल सोनकर ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्रशासन से पदभार ग्रहण कराने की मांग की थी. इस पर राज्य शासन से मार्गदर्शन मांगा गया ,वहां से जो मार्गदर्शन प्राप्त हुआ उसके मुताबिक सन्तुलाल को मुंगेली नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में 15 अक्टूबर पदभार ग्रहण कराया गया है. वहीं कलेक्टर ने यह भी कहा कि हेमेन्द्र गोस्वामी के हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन को लेकर भी राज्य शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है, वहाँ से जो भी मार्गदर्शन आएगा उसके मुताबिक आगे की कार्यवाही की जाएगी. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हेमेन्द्र गोस्वामी के 16 अक्टूबर को पारित आदेश में नगर पालिका के अध्यक्ष को यथावत बनाये रखने को कहा गया है. उस स्थिति में 15 अक्टूबर को संतुलाल को पालिका अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण कराया गया है. हालांकि यह अंतरिम आदेश था, अंतिम सुनवाई 4 नवम्बर के लिए सुरक्षित है. कलेक्टर ने बताया कि फिलहाल हेमेन्द्र गोस्वामी के दावा वाले आदेश को लेकर राज्य शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है. जो भी दिशा निर्देश प्राप्त होता है उस आधार पर कार्यवाही करते हुए आदेश का परिपालन किया जाएगा.
कैसे होगा मामला क्लियर
कहा जा रहा है कि जिस तरह से संतुलाल सोनकर के आदेश को लेकर मार्गदर्शन प्रशासन को शासन स्तर से प्राप्त हुआ ,वैसे ही हेमेंद्र गोस्वामी के आदेश के मसले में मार्गदर्शन आते ही मामला क्लियर हो जाएगा,कि संतुलाल सोनकर पालिका अध्यक्ष रहेंगे या हेमेन्द्र गोस्वामी। तब तक लोग भ्रमित हो रहे है कि नगर पालिका अध्यक्ष कौन है ? क्योंकि दोनों के अपने अपने दावे है, और दोनो के तर्क है। अब भी जारी है।
अब आगे क्या
मामला नाटकीय रूप लेता हुआ दिलचस्प तो हो ही गया है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा दिलचस्पी नगर के लोगों को इस बात को लेकर है कि जिला प्रशासन ने हेमेन्द्र गोस्वामी के हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन को लेकर राज्य शासन से जो मार्गदर्शन मांगा है वह कब तक आता है,या फिर सामने में नगरीय निकाय चुनाव है ,जिसकी प्रकिया शुरू हो जाएगी और आचार संहिता लग जायेगी।वही राज्य में बीजेपी की सरकार भी है तो क्या मामला लटक जाएगा।या फिलहाल चुनाव तक यह विवाद टल जाएगा,क्योंकि कि चुनाव होते ही मामला स्वमेव खत्म हो जाएगा। इसको लेकर लोग तरह तरह की चुटकी ले रहे है।वही कथित तौर पर हेमेन्द्र गोस्वामी के वर्तमान हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर के आदेश में अध्यक्ष को लेकर यथावत बनाये रखने को लेकर कहा गया है तो क्या यह हेमेंद्र गोस्वामी को लेकर कहा गया है जो कि 15 अक्टूबर से पहले कि स्थिति में या फिर 15 अक्टूबर को प्रशासन ने संतुलाल को अध्यक्ष का पदभार ग्रहण कराया है तो क्या उनको यथावत रखने के लिए कहा गया है।यह बड़ा दिलचस्प हो गया है।बहरहाल मामला प्रशासन के पाले में चला गया है।इसके अलावा इस विवाद से जुड़े मसले पर 4 नवम्बर को हाईकोर्ट में एक अंतिम सुनवाई होनी । जिसमे दूध का दूध और पानी का पानी का पानी हो जाएगा ,यह चर्चा जोरों पर है ।हालांकि उसके बाद फिर आचार संहिता भी करीब है ऐसे में कुर्सी की लड़ाई के इस विवाद का अंत कैसे होगा यह देखने वाली बात होंगी ।
तो क्या हो जाएंगे दो पालिका अध्यक्ष !
संतुलाल को प्रशासन ने पालिका अध्यक्ष का पदभार ग्रहण कराया है और हेमेन्द्र का दावा हैं वह भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि है शासन प्रशासन ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया नही हैं तो वह भी अध्यक्ष है,ऐसा उनका दावा है।उनका यह भी दावा है कि यदि शासन प्रशासन के द्वारा संतुलाल को अध्यक्ष पद से नही हटाया जाएगा,तो वे पालिका में अध्यक्ष के रूप में जाकर बैठेंगे,ऐसी स्थिति में लाजमी है मामला काफी दिलचस्प मोड़ पर चला जायेगा। और विवाद की स्थिति भी निर्मित हो सकती है।जो कि किसी फिल्मी सीन से कम नही होंगे,तब फिर कहेंगे कि क्या पालिका में दो अध्यक्ष हैं ?
हेमेन्द्र गोस्वामी का दावा
इस मामले को लेकर हेमेंद्र गोस्वामी का कहना है कि मुझे (हेमेन्द्र गोस्वामी को) नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा 5 जनवरी 2022 को पीठासीन अधिकारी द्वारा चुनाव पश्चात मुंगेली नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष के रूप निर्वाचित किया गया है, दिसम्बर 2024 में मेरा कार्यकाल समाप्त होगा,न तो मैने कोई घोटाला किया है ,न कोई भ्रष्टाचार किया है,न मेरी कोई शिकायत है तो मुझे अध्यक्ष पद से शासन कैसे हटा सकती है,क्योकि मैं निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूँ।मेरे पालिका अध्यक्ष रहते हुए भी सन्तुलाल को यदि अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण कराया गया है तो मुझे इससे पहले हटाया जाना था,जो कि नही किया गया है।इसलिए मैं अध्यक्ष तो हूँ ही।उनका कहना है कि संतु लाल सोनकर जिन्हे मुंगेली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद से वित्तीय अनियमिताओ के आरोप पर धारा 41 छ. ग. नगर पालिका अधिनियम 1961 के प्रावधान के अंतर्गत निर्वाचित अध्यक्ष पद दिसम्बर 2021 में हटाया गया था और उन्हें नगर पालिका परिषद के आगामी चुनावों के लिए भी अपात्र घोषित किया गया था ।किन्तु संतु लाल सोनकर ने अध्यक्ष पद पर पुनर्स्थापित किए जाने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर प्रशासन से गुहार लगाई,जिसके परिपालन में जिला प्रशासन ने राज्य शासन से मार्गदर्शन पश्चात पालिका अध्यक्ष का पदभार ग्रहण कराया है।
कौन है संतुलाल ?
पिछले नगरीय निकाय चुनाव में संतुलाल सोनकर शिक्षक पद से इस्तीफ़ा देकर पहले तो बीजेपी में शामिल हुए और बीजेपी की टिकट से पार्षद का चुनाव लड़ा है,पार्षद बनने में बाद बीजेपी की ओर से मुंगेली नगर पालिका अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बने ,और फिर संतुलाल सोनकर नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए, सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन संतुलाल सोनकर नगर के एक नाली घोटाले मामले में घिर गए, और यह मामला इतना तूल पकड़ा कि उन्हें जेल तो जाना पड़ा ही ,अध्यक्ष पद की कुर्सी भी गंवानी पड़ गई,राज्य सरकार ने उन्हें दिसम्बर 2021 में अध्यक्ष पद से पृथक कर दिया।मामला 13 लाख रुपये के नाली घोटाले से जुड़ा था,जिसमे बिना कोई कार्य कराए राशि आहरण करने की बात सामने आई थी ,जिसमे तत्कालीन सीएमओ विकास पाटले व अन्य के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी।
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