पुरोषतम पात्र,गरियाबंद। सरकारी उपक्रम से परेशान एक किसान ने 16 नवंबर को एसडीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह किये जाने की चेतावनी दी है. इसके लिए उसने बकायादा प्रशासन को पत्र सौंपा है.

गरियाबंद मुरलीगुड़ा के रहने वाले रमेश नागेश का कहना है कि उसके पास जामगांव में महज 1.72 हेक्टेयर यानि कुल 4 एकड पैतृक जमीन जमीन है. जिसमें वह पिछले कई पिढ़ियों से खेती करते आ रहे थे. करीब 27 साल पहले इस पैतृक जमीन का हिस्सा उनके पिता और चाचा को ​मिला. इसी बीच बीते साल रमेश ने हल्का पटवारी से अपनी जमीन के दस्तावेज दुरुस्त करने के लिए संपर्क किया, तो उसे पता चला कि उनकी एक एकड़ जमीन 2006 से चार अन्य लोगों के नाम पर दर्ज हो गयी है.

हल्का पटवारी की बात सुनकर रमेश और उसके परिवार के होश उड गये. जमीन के भरोसे ही उनके परिवार का पालन पोषण हो रहा था, ऐसे में जमीन दुसरे के नाम पर दर्ज हो जाना उनके लिए किसी बड़े सदमे से कम नही था, रमेश तब से लेकर अब तक जमीन अपने परिवार के नाम करने के लिए राजस्व विभाग के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसके बाद भी अब तक किसी ने उसकी समस्या का समाधान नहीं ​किया. जिसके बाद रमेश ने बुधवार को एसडीएम को पत्र सौपा और मामले में न्याय की गुहार लगाई है साथ ही न्याय न मिलने पर आगामी 16 नवंबर को एसडीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह किये जाने की चेतावनी भी दी है.

जब इस बारे मे देवभोग एसडीएम निर्भय साहू से बात की गई तो वो रमेश की मदद करने की बजाय उसके द्वारा उठाये जा रहे कदम पर नसीहत देते नजर आये.

दरअसल राजस्व विभाग में त्रुटियां होना कोई नयी बात नही है. प्रदेश में ऐसे इक्के दुक्के गॉव ही है जहं एक भी राजस्व प्रकरण लंबित ना हो. जबकि अधिकांश गांव में आज भी लोग राजस्व प्रकरण सुधरवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है. त्रुटि होना बड़ी बात नही है. बड़ी बात है त्रुटि की जानकारी होने के बाद भी अधिकारियों द्वारा उसे दुरूस्त न किया जाना. रमेश के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है. जिसके चलते आज किसान रमेश के पास आत्मघाती कदम उठाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं रह जाता है, अब देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन रमेश की किस तरह मदद करता है।