Modi Assassination Plan: पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन के तियानजिन में एससीओ बैठक के बाद एक साथ एक ही कार में सफर करते देखे गए थे। इस तस्वीर पर उस वक्त खूब चर्चा हुई, लेकिन अब इसे जुड़ा हुआ एक बड़ा दावा किया गया है। दरअसल, इसी दिन बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अमेरिकी विशेष बल के अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन की रहस्यमयी स्थिति में मौत हुई थी। इस मौत ने कई अटकलों को जन्म दिया है।

दक्षिण एशिया में CIA की पुरानी भूमिका

1979 के सोवियत आक्रमण के दौरान अफगानिस्तान में अमेरिकी गतिविधियों से लेकर बांग्लादेश और नेपाल में हालिया शासन अस्थिरता तक, यह एक खुला रहस्य है कि दक्षिण एशियाई राजनीतिक घटनाओं के पीछे अक्सर CIA की भूमिका रहती है।

Organiser.org की रिपोर्ट के मुताबिक 31 अगस्त को बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक होटल में अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज ऑफिसर टेरेंस अर्वेल जैक्सन की रहस्यमयी मौत ने दक्षिण एशिया में अमेरिकी ख़ुफ़िया गतिविधियों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। यह शक जताया जा रहा है कि क्या अमेरिकी अधिकारी भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के मिशन पर था?

संभावित हत्या की साजिश और भारत-रूस की भूमिका

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची गई थी, जिसे भारत और रूस की ख़ुफ़िया एजेंसियों के संयुक्त अभियान ने विफल कर दिया। जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट ढाका में अमेरिकी अधिकारी की मौत को इसी घटनाक्रम से जोड़ते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, टेरेंस जैक्सन को बांग्लादेश सेना को प्रशिक्षित करने के बहाने सेंट मार्टिन द्वीप पर भेजा गया था।

मोदी-पुतिन की गुप्त बातचीत और उसी दिन हुई मौत

जिस दिन टेरेंस अर्वेल जैक्सन मृत पाए गए, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में थे। इस दौरान मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार के भीतर 45 मिनट तक निजी बातचीत की। विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक में दोनों नेताओं ने उस साजिश और गुप्त ऑपरेशन पर चर्चा की, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिकी अधिकारी ढाका में निष्क्रिय किया गया।

भारत को अस्थिर करने की कोशिशों का लंबा इतिहास

CIA द्वारा भारत को अस्थिर करने या नई दिल्ली में अराजकता फैलाने की कोशिश कोई नई बात नहीं है। दशकों से अमेरिका भारत में हस्तक्षेप की कोशिश करता रहा है। लेकिन अब ये प्रयास और भी मुखर और आक्रामक हो गए हैं, क्योंकि नई दिल्ली में एक मजबूत और राष्ट्रवादी नेतृत्व मौजूद है जो विदेशी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं।

भारत की संप्रभुता और आत्मनिर्भर नीति

दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर भारत हमेशा संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को प्राथमिकता देता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने बार-बार यह दिखाया है कि वह बाहरी ताकतों की धमकियों या दवाबों के आगे नहीं झुकेगा।

विदेशी दबावों के बावजूद भारत सख्त

चाहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का यह दावा हो कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को रोकने में भूमिका निभाई, या भारत का रूसी तेल खरीदना हो, या वैश्विक व्यापार में अपनी शर्तों पर बातचीत करना – भारत अब दृढ़ और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में उभरा है। यह नया भारत किसी भी परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।

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