जितेंद्र सिन्हा, राजिम. राजिम माघी पुन्नी मेले में मुख्य मंच पर प्रस्तुतियों के बीच शनिवार को कुरुद से आई 11 साल की दिव्यांग बच्ची ने ऐसा नृत्य किया जिसे दर्शक देखते रह गए. छत्तीसगढ़ी गीत पर यहां की संस्कृति को प्रदर्शित करते लोक नृत्य की प्रस्तुति देने वाली यह बच्ची एक पैर से दिव्यांग है, लेकिन इनके नृत्य कौशल को देखकर सामान्य लोग भी दंग रह गए. दिव्यांग होते हुए भी छोटी सी उम्र में नृत्य का ऐसा जीवंत प्रदर्शन अपने आप में खास है.
हम यहां बात कर रहे हैं धमतरी जिले के कुरुद ब्लॉक स्थित गांव दांडेसरा की चंचल सोनी की. हालांकि राजिम के लिए यह नाम नया नहीं है क्योंकि इससे पहले भी दो बार राजिम कुंभ में इस बच्ची ने अपनी नृत्य कला का जौहर दिखाया है. आज मुख्य मंच पर इन्होंने छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी. लगभग 15 मिनट की इनकी प्रस्तुति देखने वाले दर्शक अपनी जगह से हिल भी नहीं सके. चंचल सोनी के नृत्य ने मंच से ऐसा समा बांधा कि दर्शकों की तालियां रुकने का नाम नहीं ले रही थी. बैसाखी के सहारे चलने वाली चंचल ने मंच पर बिना बैसाखी के शानदार नृत्य प्रस्तुति दिया. इनकी प्रस्तुति के बाद मंच से इन्हें सम्मानित भी किया गया.
बिना किसी ट्रेनर के पहुंची इस मुकाम पर
चचंल सोनी का नृत्य के प्रति जुनून बचपन से रहा है. गरीब परिवार में होने के कारण इन्हें कभी कुशल प्रशिक्षण नहीं मिला. घर पर ही पहले घूम घूम कर नाचने का प्रयास किया. जन्मजात दिव्यांग होने के कारण बचपन में चंचल के साथ कोई बच्चे खेलते भी नहीं थे इसके बाद भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी. जैसे भी नृत्य को अपना लक्ष्य बनाकर वीडिय़ो देख देख कर अभ्यास किया. कुरुद में ही दिव्यांग बच्चों के लिए एनजीओ चलाने वाली इनकी बुआ लक्ष्मी सोनी ने इसका हाथ थामा. बिना किसी प्रशिक्षक के चंचल ने नृत्य का अभ्यास किया और आज इस मुकाम पर पहुंची हैं. ढ़ाई साल की उम्र से शुरू चंचल का सफर अब तक प्रदेश के कई शहरों तक पहुंचा. चंचल ने शिवरीनारायण बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग व भिलाई सहित गोवा में भी अपने नृत्य कौशल का जलवा दिखाया है। हाल ही में 26 जनवरी को जिला प्रशासन के कार्यक्रम में भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा इनकी कला के लिए लायनेस क्लब सहित कई संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है.
पर्वता रोही बनना लक्ष्य, खेलों में भी पारंगत
चंचल सोनी कार्यक्रम के बाद चर्चा के दौरान बताया कि उनका लक्ष्य पर्वतारोही बनना है. वहीं खेलों में इनकी रूचि है. खासकर तैराकी में इनकी खास रुचि हैं. चंचल का कहना है कि पहाड़ पर चढ़कर दिखाना चाहती हूं कि एक पैर से कुछ भी किया जा सकता है. पर्वतारोही बनकर एक मुकाम हासिल करना है और इसके लिए लगातार मेहनत भी कर रही हैं.
चंचल सोनी की बुआ और एग्जेक्ट फाउंडेशन की अध्यक्ष लक्ष्मी सोनी ने बताया कि चंचल बिना किसी की मदद के पेड़ पर चढ़ जाती है. पेड़ पर चढ़ने की इनकी अद्भुत कला को देखकर कोई भी दंग रह जाता है. नृत्य के प्रशिक्षण को लेकर लक्ष्मी सोनी ने बताया कि कुछ समाज सेवी संस्थानों द्वारा चंचल को विशेष प्रशिक्षण दिलाने की बातें कही गई है.
देखिए वीडियो…
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