सोहराब आलम, मोतिहारी। सावन का आधा महीना बीतने के बावजूद उत्तर बिहार, खासकर पूर्वी चंपारण जिले में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। जिले के कई प्रखंडों खासकर छौड़ादानो, आदापुर, रक्सौल और चिरैया के गांवों में जल संकट इस कदर बढ़ गया है कि अब चापाकल भी पानी देना बंद कर चुके हैं। लगातार बारिश नहीं होने और भीषण गर्मी के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है।

प्यास बुझाने के लिए करना पड़ रहा संघर्ष

छौड़ादानो प्रखंड के जुआफर गांव की तस्वीर स्थिति की भयावहता बयां करती है। यहां के लोग प्यास बुझाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। गांव में सरकार द्वारा संचालित जल-नल योजना भी पूरी तरह से ठप पड़ी है। इस योजना के संचालन की जिम्मेदारी पीएचईडी (PHED) विभाग की है, लेकिन अब तक विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई गुहार

जब लंबे समय तक समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जिले के कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और उप विकास आयुक्त डॉ. प्रदीप कुमार को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने जल संकट की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पीएचईडी विभाग को निर्देश दिए हैं कि इस समस्या का तत्काल समाधान किया जाए।

सरकारी योजना भी हुई विफल

पूर्वी चंपारण के इन इलाकों में सरकार की बहुचर्चित “हर घर नल का जल” योजना पूरी तरह से विफल होती नजर आ रही है। गांव-गांव में नल लगे तो हैं, पर उनमें पानी नहीं आ रहा। न तो समय पर पाइपलाइन की मरम्मत हो रही है, न ही पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो पा रही है। ऐसे में ग्रामीणों का भरोसा सरकारी व्यवस्था से उठता जा रहा है।

प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति

गांवों की स्थिति अब एक प्राकृतिक आपदा जैसी बन गई है। जलस्तर इतना गिर गया है कि नदियों, तालाबों और कुओं का जल भी सूख चुका है। महिलाएं और बच्चे दूर-दराज के हैंडपंप या किसी सरकारी भवन के पास मौजूद इकलौते जल स्रोत से पानी भरने को मजबूर हैं।

सरकार और प्रशासन से अपील

ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द वैकल्पिक जल स्रोत की व्यवस्था की जाए, पीएचईडी विभाग को सक्रिय किया जाए और प्रभावित गांवों में टैंकर से पानी की आपूर्ति शुरू की जाए। साथ ही, हर घर नल योजना की समीक्षा कर इसमें आ रही तकनीकी और प्रशासनिक गड़बड़ियों को दूर किया जाए।

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