कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है। लोगों को पानी न मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं नगर निगम का पीएचई विभाग ग्वालियर वासियों को एक दिन छोड़ कर पानी प्रदान करा रहा है। फिर भी शहर की प्यास बुझाना बड़ी चुनौती बन गया है।

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शहर में जल संकट को देखते हुए नगर निगम और जिला प्रशासन कई सख्त कदम उठा रहा है। जल संकट के बीच शहरवासियों को पीने का पानी मिलता रहे इसके लिए निगम कमिश्नर ने सख्त आदेश जारी किया है। शहर वासियों की प्यास बुझा रहे एकमात्र जल स्त्रोत तिघरा जलाशय और सरकारी बोरिंग के पानी से निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। निगम कमिश्नर ने 30 जून तक यह रोक लगाई है।

आदेश के बाद शहर में चल रहे निर्माण कार्यों में पीने का पानी का उपयोग नहीं किया जाएगा। निगम कमिश्नर ने संबंधित सभी इंजीनियरों को इसको लेकर निर्देश दिए हैं कि आदेश का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। हालांकि नगर निगम और जिला प्रशासन के लाख दावों के बीच जनता पीने के पानी के लिए मोहताज हो रही है। कहीं नलों में पानी आ ही नहीं रहा है तो कहीं गंदे पानी के चलते लोगों को बाहर से पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है।

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कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि ग्वालियर में जितनी पर्याप्त मात्रा में बारिश होनी चाहिए थी वह नहीं हुई। जिसके कारण जिले भर के जलाशय भर नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि जिला मुख्यालय में पानी एक दिन छोड़ कर देना पड़ रहा है जो की गंभीर विषय है। लोगों को भी जरूरत का पानी खर्च करना चाहिए। जिले में कहीं कोई पानी की समस्या है उसे जल्द सुधार कर लोगों तक पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है। जिससे नागरिकों को पानी की समस्या का सामना ना करना पड़े।

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वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी पंचायत की मदद से लोगों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। साथ ही जल्द नल जल योजना को भी पूरा करने के निर्देश दिए हैं। ताकि लोगों को परेशानी ना हो सके और जल्द पानी मिल सके। वहीं तिघरा में पानी लाने के लिए आसपास के जलाशयों से पानी लाने की योजना बनाई गई है। जिसमें पानी लाने के लिए काफी खर्च आता है। उसके लिए एक राहत प्रस्ताव आयोग भोपाल को भेजा है। जिसकी स्वीकृति होना है। जिसके बाद लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल पाएगी।

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