दीपक ताम्रकार, डिंडोरी। मध्य प्रदेश में बढ़ती गर्मी की वजह से जल संकट गहराने लगा है। इसका असर न सिर्फ इंसानों पर बल्कि लोगों के जीवन पर भी पड़ता जा रहा है। डिंडोरी जिले में पानी की समस्या की वजह से एक महिला ने तो अपना ससुराल तक छोड़ दिया और मायके चली गई।

कुआं-हैंडपंप से भी नहीं मिलता पानी

दरअसल, पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगे ग्राम देवरा का है। यहां की कुल आबादी लगभग 3000 है। हंस नगर और साकेत नगर को छोड़कर गांव में लगभग 2 हजार लोग रहते हैं। यहां नल-जल योजना तो पहुंच चुकी है लेकिन पानी महीने में कुल 10 दिन ही ग्रामीणों के घरों में पहुंचता है। वही गांव में लगभग 5 कुएं हैं लेकिन साफ-सफाई के अभाव में वे भी दम तोड़ चुके हैं। तीन हैंडपंप से बमुश्किल पानी निकलता है। ऐसे में गांव वालों को पानी इकट्ठा करने के लिए दिनभर मशक्कत करनी पड़ती है। जिससे ग्रामीणों में विवाद की स्थिति पैदा होती है।

ग्रामीण का आरोप- बाहुबलियों के दबाव में 

गांव के जितेंद्र सोनी का आरोप है कि नल-जल योजना स्वीकृत हुई थी, लेकिन बाहुबलियों के दबाव में हंस नगर में टंकी बन गई और देवरा गांव पानी से अछूता रह गया। पानी टंकी के लिए यहां लोगों ने बहुत प्रयास किए लेकिन पीएचई विभाग के अफसरों ने उनकी एक न सुनी और हंस नगर में टंकी बना दी। ऐसे ही जल जीवन मिशन के तहत जो पाइप लाइन बिछनी चाहिए उसमें भी देरी हो रही है। जिसके चलते ग्रामीण जल संकट से जूझ रहे हैं।

ससुराल छोड़कर चली गई पत्नी

जितेन्द्र सोनी ने बताया कि पानी की कमी की वजह से पत्नी बच्चों के साथ ससुराल छोड़कर चली गई है। उन्होंने बताया कि “किसी तरह हैंडपंप से पानी की व्यवस्था हो जाती है लेकिन शौचालय के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पता। आज की महिलाएं शौच के लिए लोटा लेकर बाहर नहीं जा सकती क्योंकि इसकी वजह से उन्हें काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। यही वजह है कि उनमें आए दिन झगड़े होते रहते हैं।

पत्नी ने बोर कराने के लिए कहा लेकिन बेरोजगारी की वजह से वह नहीं करा सका। नाराज होकर पत्नी अपने मायके चली गई और कहा कि पानी नहीं तो मैं भी नहीं।” युवक ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर वह जनसुनवाई में जाने की सोच रहे हैं, जिससे कलेक्टर के सामने जल संकट की समस्या रख सकें।

गांव की ही एक और महिला ने भी जल संकट की समस्या बताते हुए कहा कि वह भी जल्द मायके जाने वाली है। महिला ने बताया कि पानी की कमी के चलते गांव और घर में आए दिन विवाद होता है। जिसके चलते वह अब सहन नहीं कर सकती। गांव के घरों में शौचालय तो है लेकिन भरपूर पानी नहीं। पढ़ी लिखी महिलाएं बाहर शौच के लिए नहीं जा सकती। क्योंकि उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता है। लेकिन गांव के घरों में पानी इतना भी नहीं रहता कि बाहरी निस्तार के लिए सहेजा जा सके।

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