सुधीर दंडोतिया, भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज जयपुर के दौरे पर पहुंचे. जहां राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उनका स्वागत किया. जिसके बाद जयपुर में मध्यप्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री की संयुक्त प्रेसवार्ता हुई. जिसमें नदियों के जल बंटवारे के निर्णय से पूर्वी राजस्थान और उत्तरी मध्यप्रदेश के जिले लाभान्वित होंगे. तो वहीं केन्द्र सरकार के सहयोग से ये महत्वपूर्ण निर्णय होगा.
अटल बिहारी ने शुरु किया था नदी जोड़ो अभियान
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई ने नदी जोड़ो अभियान शुरु किया था, लेकिन परिस्थितियों के बदलने से दोनों प्रांतों के हित में होने वाला यह निर्णय लंबित रहा है. हालांकि अब मध्यप्रदेश और राजस्थान इस विषय पर एकमत हैं. जयपुर में आज दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक और विस्तृत चर्चा हुई है.
दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा: CM मोहन
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि माननीय अटल जी के समय वर्ष 2003 में योजना बनी और नदी जोड़ो अभियान चला. पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों का पानी का लाभ दोनों राज्यों को मिलना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण विषय को हाथ में लिया है. दोनों राज्यों की बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा. निश्चित ही यह सुखद संयोग है. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण निर्णय होने जा रहा है.
MP और राजस्थान के लिए अहम योजना: CM भजनलाल
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में अटल जी का सपना अब साकार होगा. फैसले के अनुरूप आवश्यक कार्य होंगे. उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए ये बेहद अहम योजना है…नदियों को जोड़ना अटल बिहारी वाजपेई का सपना था, उसी वक्त इसकी नींव रखी गई थी लेकिन बाद में कांग्रेस की सरकार आई…कांग्रेस ने इस पर सिर्फ राजनीति की… इस योजना से हमारे कई वन क्षेत्रों को लाभ मिलेगा. राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल की जो समस्या थी उसका समाधान होगा.”
क्या है जल बंटवारे का मामला ?
बता दें कि पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल बंटवारे को लेकर मामला चल रहा है. अशोक गहलोत की सरकार में जल बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई थी. ऐसे यह तो साफ है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव आज जब मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात करेंगे तो दोनों नेताओं के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, ताकि 13 जिलों के लिए जीवनदायिनी ईआरसीपी परियोजना को लेकर धरातल पर काम शुरू हुआ सकें और प्रदेशवासियों को राहत मिल सकें.
क्या है ERCP परियोजना?
ईआरसीपी योजना राजस्थान की लाइफ लाइन है. इस योजना से राजस्थान के 13 जिलों में रहने वाले लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है. इसके अलावार 13 जिलों में 26 विभिन्न बड़ी व मध्यम परियोजनाओं के जरिए 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा. इस योजना के शुरू होने से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर जिलों के लोगों को काफी फायदा होगा.
2017 में ERCP पर शुरु हुआ था काम
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीजेपी सरकार ने साल 2017 में ईआरसीपी पर काम शुरू किया था. तब 37 हजार 237 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान था. कांग्रेस के शासन में ईआरसीपी पर करीब 1600 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन, देरी के चलते ईआरसीपी की लागत अब 45,000 करोड़ तक पहुंच गई है.
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