रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कवर्धा के नजदीक ग्राम धमकी से कौंहा के एक पुराने पेड़ के तने से पानी निकलने की घटना सामने आई है. तथा जानकारी मिली है कि वहाँ ग्रामीणों की भीड़ जमा हो रही है और इसे चमत्कारिक पानी मानकर न केवल ग्रामीण बोतलों में एकत्र कर रहे हैं बल्कि अफवाहों के कारण इसे बीमारियों से ठीक होने के लिए पी रहे हैं ,साथ ही उस की पूजा अर्चना भी शुरू हो गयी है.

डॉ .दिनेश मिश्र ने कहा बरसात और ठंड के मौसम में पेड़ों से इस प्रकार पानी निकलना एक सामान्य सी प्रक्रिया है ,यह कोई चमत्कार नहीं है .पेड़ों में जमीन से पानी ऊपर खींचने के लिए एक विशिष्ट उत्तक होता हैं ,जिन्हें जाइलम कहते हैं जाइलम का काम ही अपनी कोशिकाओं के माध्यम से जमीन से पानी खींच कर उस पानी को अपनी नलिकाओं से पूरे पेड़ के विभिन्न अंगों में पहुंचाना है इसके लिए विशिष्ट रचनाएं होती है जिससे पानी ऊपर चढ़कर पेड़ के सभी भागों अंग तक पहुंचता है,जल की आपूर्ति करता है बरसात और ठंड के मौसम में जब जमीन में पानी की मात्रा अच्छी ,व भूजल का दबाव अधिक रहता है.

वायुमण्डल में आर्द्रता होती है, तब पेड़ की जड़ों से जो पानी खींचा जाता है वह पेड़ के किसी भी हिस्से से जो कमजोर हो ,अथवा तने में मौजूद छिद्रों से से पानी के रूप में निकलता है और यह कई बार एक पतली सी धारा से लेकर अधिक मोटे प्रवाह के रूप में भी कई स्थानों से भी निकलते हुए देखा गया है ,कभी-कभी यह जल स्वच्छ भी रहता है और कभी-कभी पेड़ के भीतरी अंगों उसमे उपस्थित जीवद्रव्य, कुछ बैक्टेरिया, और मेटाबोलिज्म के कारण उत्पन्न गैसों व अशुद्धियों से रंग में कुछ परिवर्तन हो सकता है. जो मटमैला, तो कभी दूधिया दिखाई पड़ता है है .जॉन लिंडले की पुस्तक फ़्लोरा इंडिका में इस प्रकार से जल,व दूधिया स्त्राव का वर्णन है. वही डॉ रेड्डी की किताब वानिकी में इस प्रकार के स्त्राव का वर्णन आता है यह तने के वात रन्ध्र( स्टोमेटा) से निकलता है ,तथा कभी कभी तने के जख्मी हिस्से से भी स्त्रावित होता है.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कई बार जानकारी न होने के कारण ग्रामीण अंचल में इस प्रकार की घटना को चमत्कार समझते हैं,और भीड़ जमा होने ,अलग अलग अफवाहें फैलने से ऐसे जल को चमत्कारिक मां कर पीने,पूजा अर्चना करने, बीमारियों के इलाज के लिए पीने भी लगते हैं , जबकि ऐसी घटनाएं सामान्य हैं, जिसे लेकर ग्रामीणों को किसी भी अफवाह में पड़कर अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए. ऐसा भी हुआ है और लोगों ने इसे चमत्कारी पानी उपयोग किया और कई बार उन्हें नुकसान भी हुआ. हर प्राकृतिक रचना के कुछ विशिष्ट गुण धर्म होते है जो समय समय पर विभिन्न परिवर्तनो के साथ सामने आते हैं,इन्हें बिना किसी अंधविश्वास में पड़े,एक सामान्य प्राकृतिक घटना के रूप में देखा जाना चाहिए.