नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर अपने सहयोगियों के साथ मध्यप्रदेश के छोटा बड़दा गांव में जल सत्याग्रह कर रही हैं. मेधा पाटेकर के साथ दो दर्जन से ज्यादा महिलाएं आंदोलन कर रही हैं. मेधा सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का का विरोध कर रही हैं, उनका कहना है कि बगैर बेहतर पुनर्वास किए बिना बांध की ऊंचाई बढ़ाने से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित होंगे. मेधा पाटकर ने कहा कि जल समाधि ले लेंगे लेकिन इस जगह को खाली नहीं करेंगे.
सरदार सरोवर का सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश पर पड़ेगा. यहां के सैकड़ों गांव पूरी तरीके से पानी में डूब जाएंगे. बताया जा रहा है कि 192 गांव पूरी तरह डूब जाएंगे. पीएम मोदी रविवार को अपने जन्मदिन पर नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया.
सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी स्थित धार, बड़वानी, सहित अन्य इलाकों के 192 गांव और एक नगर का डूब में आना तय माना जा रहा है. धीरे-धीरे जल स्तर बढ़ रहा है और कई गांवों में पानी भी भरने लगा है. इसके बावजूद प्रभावित गांव के लोगों ने अब तक घर नहीं छोड़े हैं. ये लोग बेहतर पुनर्वास और मुआवजा दिए बिना सरदार सरोवर की ऊंचाई बढ़ाए जाने का लोग विरोध कर रहे हैं. यहां लोग जल सत्याग्रह कर रहे हैं.
मेधा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को धूमधाम से मनाने के लिए हजारों परिवारों की जलहत्या की तैयारी हो रही है. यह कैसा जश्न है कि एक तरफ लोग मरने की कगार पर होंगे और गुजरात में 17 सितंबर रविवार को जश्न मनाया जाएगा. यह दिन देश के सबसे बुरे दिनों में से एक होगा.