अमित पांडेय, खैरागढ़. इन दिनों खैरागढ़ नगर भीषण जल संकट से गुजर रहा है। तेज गर्मी में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। नगर की नदियां सूख चुकी है, बोरवेल महीनों से खराब पड़े हैं और जो पानी उपलब्ध है वह बदबूदार और गंदा है, जिसे पीना तो दूर उपयोग करना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे समय में नगर पालिका और प्रशासन की घोर लापरवाही ने आम जनता की समस्याओं को और भी बढ़ा दिया है।

कांग्रेस के ‘मिशन संडे अभियान’ के तहत विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन जब पिपरिया वार्ड पहुंचे तो लोगों ने बताया कि पिछले तीन महीने से वहां का मुख्य बोरवेल खराब पड़ा है। उसकी मरम्मत के लिए नगर पालिका ने कोई कार्रवाई नहीं की है। जब देवांगन ने इस पर नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) नरेश वर्मा से फोन पर बात की तो उन्होंने बड़ी सहजता से कहा, “मैंने लालू को बोल दिया है।” इस जवाब ने न केवल देवांगन को चौंकाया, बल्कि शहरभर में एक नया सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर यह लालू कौन है? मनराखन देवांगन ने सीधा सवाल किया कि ‘लालू’ क्या कोई अधिकृत अधिकारी है या कोई नगर पालिका कर्मचारी? क्या वह अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सभापति है? जब इस सवाल का जवाब नहीं मिला तो चर्चा और गर्मा गई और दोनों की बातचीत का वीडियो शहर में वायरल हो गया और यह सवाल पूरे शहर में गूंजने लगा कि “लालू कौन है?”

सूत्रों से जो जानकारी सामने आई, वह और भी चौंकाने वाली थी। पता चला कि सीएमओ जिस ‘लालू’ को काम सौंपने की बात कर रहे थे, वह दरअसल तुरकारीपारा वार्ड की पार्षद रेखा गुप्ता का पति विकेश उर्फ लालू गुप्ता है। विकेश न नगर पालिका का कोई अधिकारी है और न ही कोई तकनीकी कर्मचारी, बावजूद इसके वह मरम्मत कार्यों जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। यही नहीं, उसका नाम पहले भी कई विवादों में आ चुका है, चाहे वह बिना GST बिल के टॉयलेट क्लीनिंग सामग्री और स्टेशनरी सप्लाई करने का मामला हो या धान खरीदी समितियों में सुतली और रंग की मनमानी आपूर्ति। इससे एक गंभीर सवाल खड़ा होता है कि आखिर नगर पालिका में निर्णय अब निर्वाचित जनप्रतिनिधियों या अधिकारियों के बजाय पार्षदों के पतियों द्वारा लिए जा रहे हैं? क्या अब प्रशासनिक प्रक्रिया और जवाबदेही निजी रिश्तों और समीकरणों के अधीन हो चुकी है।

मनराखन देवांगन ने तंज कसते हुए कहा कि अब नगर पालिका का संचालन ‘लालू एंड संस’ की तर्ज पर हो रहा है, जहां अधिकारी सिर्फ हस्ताक्षर करते हैं और फैसले कोई और लेता है। जनता को नल से नहीं, नेताओं से मिन्नतें कर पानी मांगना पड़ रहा है। यह हालात न सिर्फ प्रशासनिक विफलता हैं बल्कि लोकतंत्र की मूल भावना के लिए भी खतरा हैं। भाजपा के लिए भी यह स्थिति चिंता का विषय है। विकेश गुप्ता को भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का करीबी माना जाता है, लेकिन उसके काम करने के तरीके और लगातार सामने आ रहे आरोपों ने पार्टी को बार-बार मुश्किल में डाला है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा नेतृत्व अपनी ही पंक्ति के ऐसे लोगों पर लगाम लगाने में असमर्थ है या जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं?

इस पूरे मामले पर नगर पालिका सीएमओ नरेश वर्मा का कहना है कि इस समय लगभग सभी जगहों पर जल स्तर नीचे चला गया है। नगर पालिका द्वारा नियमित रूप से टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता विभिन्न वार्डों में जाकर जल संकट की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। इसी दौरान यह चर्चा हुई कि बोरवेल की मोटरों को निकालकर उनकी सफाई क्यों नहीं की जा रही है। वर्तमान में बोर खनन पर रोक है। जहां तक लालू का सवाल है, वे हमारे निकाय पदाधिकारी के परिवार से हैं और एक समाजसेवी भी हैं। यह मामला पूरी तरह राजनीतिक है। लोगों को आवश्यकतानुसार पानी मिल रहा है।”

जल संकट की मार झेल रही जनता अब केवल पानी नहीं, जवाब भी मांग रही है। खैरागढ़ की सड़कों पर एक वाक्य तेजी से फैल रहा है, “मैंने लालू को बोल दिया है।” यह अब केवल एक जवाब नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की नाकामी का प्रतीक बन चुका है। अब देखना यह है कि नगर पालिका इस पर कोई ठोस कदम उठाती है या आने वाले रविवार को ‘मिशन संडे’ एक और पोल खोलने फिर से तैयार खड़ा मिलेगा।