पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. जिले के अंतिम छोर में बसे सिंचाई सुविधा विहीन 15 गांव के 980 एकड़ में कृषि विभाग की मिनी वाटर शेड से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इससे परंपरागत लोगों के पलायन पर भी रोक लगेगा. 8 करोड़ की लागत से तैयार होने वाली इस परियोजना में किसान की सजगता जरूरी है इसलिए चयनित 25 किसानों को कोरापुट स्थित भारतीय मृदा एवं जल सरंक्षण संस्थान प्रशिक्षण दे रहा है.

जिले के देवभोग तहसील में सिंचाई सुविधा के आभाव में किसान रवि फसल व उद्यानिकी के क्षेत्र में खेती नहीं कर पा रहे थे पर आने वाले 2 वर्षों में खरीफ के साथ रवि सीजन व उद्यानिकी के क्षेत्र में बारहों महीने फसल उत्पादित कर सकेंगे. विभाग के उपसंचालक संदीप भोई ने बताया कि जिले में न्यू जनरेशन वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम लागू किया गया है. इसके तहत जिले के अंतिम छोर में बसे देवभोग तहसील के सबसे कम सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्र से 15 पंचायत का चयन किया गया है. यहां मौजूद बरसाती नाले का पानी बहकर अनुपयोगी हो जाता है, जिसका भरपूर सदुपयोग कर उस पानी से सिंचाई सुविधा दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

इस योजना के तहत भूमि समतलीकरण, मूही बंधान, बोल्डर चेक जैसे स्ट्रक्चर तैयार किया जाना है. चयनित ग्राम में 100 स्वसहायता समूह गठन किया गया है, जिन्हें आजीविका मिशन से भी जोड़ा जाएगा. कृषि, उद्यानिकी के साथ-साथ पशुपालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन व मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने प्रारूप तैयार किया गया है. परियोजना में लगभग 8 करोड़ की लागत आएगी और कार्य 3 साल में पूरा किया जाना है.

पलायन पर लगेगा रोक, कृषि उत्पाद से संवरेगी जिंदगी
योजना लागू करने से पहले विभाग ने 6 माह तक इलाके का बारीकी से सर्वे कराया. महत्वपूर्ण योजना के परियोजना अधिकारी नरसिंह ध्रुव ने बताया कि कृषि कार्य से मुक्त होने के बाद इस इलाके में भारी संख्या में लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्य पलायन कर जाते थे. 1162 ऐसे मजदूर किसान हैं, जो पिछले कई वर्षों से एक निर्धारित समय के लिए पलायन कर जाते हैं. ऐसे लोगों से भी चर्चा कर योजना में ऐच्छिक कार्यों को जोड़ा गया है, जिससे पलायन रुकेगी. परियोजना में 1 लाख 47 हजार मानव दिवस का कार्य सृजित किया गया है, जिसकी मनरेगा मजदूरी के तहत भुगतान होगा. नलकूप, कुएं से अब तक 217 हेक्टयर सिंचाई होती थी, जो बढ़ कर 392 हेक्टेयर यानी 980 एकड़ हो जाएगा. उद्यानिकी केवल 20 हेक्टेयर में होता था, जिसे बढाकर 130 हेक्टेयर किया जाएगा. यह योजना इस क्षेत्र के कृषकों की आर्थिक दशा सुधारने मिल का पत्थर साबित होगा.

पानी का सदुयोग की कला सीखेंगे, फिर सिखाएंगे
ओडिशा के कोरापुट में मौजूद भारतीय मृदा एवं जल सरंक्षण संस्थान में जल ग्रहण प्रबंधन की बारीकियों को सिखाने कृषि विभाग ने चयनित ग्राम से 20 से ज्यादा किसान एवं फील्ड में तैनात अपनी कर्मी व अफसरों को प्रशिक्षण लेने भेजा है. 16 अगस्त को पहुंचे लोग 19 अगस्त तक बारीकियों को सीखेंगे. मिट्टी के कटाव, समतल भूमि की बारीकियां, बहते जल का प्रबंध कैसे करना है, बरसात का पानी गांव से बाहर न जा पाए उसे रोकने के उपाय व सावधानी के गुर को सिख रहे हैं. टीम को लेकर पहुंचे परियोजना अधिकारी नरसिंह ध्रुव ने बताया कि बारीकियों को सीखने के बाद ट्रेंड हो चुके किसान व मुखिया अपने गांव लौटकर सभी ग्रामीणों को इन बारीकियों से अवगत कराएंगे.