Clash Between Priyanka Gandhi and CM Pinarayi Vijayan on Jamaat-e-Islami: केरल की वायनाड लोकसभा उपचुनाव (Wayanad Lok Sabha bypoll) में 13 नवंबर को वोटिंग होनी है। आज प्रचार का आखिरी दिन है। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी और सीपीआई के सत्यन मोकेरी के बीच माना जा रहा है। वोटिंग से 48 घंटे पहले जमात-ए-इस्लामी पर प्रियंका गांधी से केरल CM पिनाराई विजयन भिड़ गए हैं। विजयन ने दावा किया है कि कांग्रेस-यूडीएफ अलायंस उम्मीदवार प्रियंका गांधी को जमात-ए-इस्लामी ने समर्थन दिया है। वो जमात के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं। हम सभी जमात की विचारधारा से परिचित है।

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केरल CM पिनाराई विजयन के आरोपों पर प्रियंका गांधी ने भी पलटवार किया है। प्रियंका ने कहा कि चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए और मुद्दों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए। फिलहाल, वायनाड के चुनाव में जमात-ए-इस्लामी एक बार फिर मुद्दा बन गया है।

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बता दें कि वायनाड में प्रियंका का सीधा मुकाबला वाम मोर्च (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास के बीच माना जा रहा है। नव्या हरिदास, कोझिकोड की निगम पार्षद हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का हिस्सा है।

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कांग्रेस पर दागे कई सवाल

केरल के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता पिनाराई विजयन वायनाड में सीपीआई उम्मीदवार मोकेरी के समर्थन में लगातार प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने उपचुनाव के प्रचार में कांग्रेस पर हमला किया है. पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी वाड्रा जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वायनाड लोकसभा उपचुनाव लड़ रही हैं. यह संगठन एक पार्टी के रूप में प्रियंका का समर्थन कर रहा है।

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विजयन का कहना था कि वायनाड उपचुनाव ने कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष मुखौटे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। उन्होंने पूछा, प्रियंका गांधी जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं। वास्तव में कांग्रेस का रुख क्या है? हमारा देश जमात-ए-इस्लामी से पूरी तरह परिचित है। क्या उस संगठन की विचारधारा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मेल खाती है? आखिर कांग्रेस इनसे समर्थन लेकर क्या साबित करना चाहती है?

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विजयन ने आगे कहा, जमात-ए-इस्लामी राष्ट्र की संरचना और लोकतंत्र को नहीं मानता है और देश की शासन व्यवस्था की उपेक्षा करता है। ये संगठन एक पार्टी के रूप में राजनीतिक भागीदारी के तौर पर काम कर रहा है। विजयन ने कहा कि वायनाड में जमात-ए-इस्लामी भले यह कहे कि वह और जम्मू-कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी अलग है. लेकिन इन दोनों की विचारधाराएं एक जैसी है। उन्होंने पूछा, यह लोग (कांग्रेस) धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं तो फिर जमात का समर्थन क्यों ले रहे हैं? क्या कांग्रेस के लोगों को सभी प्रकार के संप्रदायवाद का विरोध नहीं करना चाहिए। क्या कांग्रेस अपने स्वार्थ के लिए ऐसा नहीं कर रही है। क्या कांग्रेस जमात-ए-इस्लामी के वोटों को अस्वीकार कर सकती है?

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प्रियंका गांधी भी किया पलटवार

प्रियंका गांधी ने पिनाराई विजयन की टिप्पणी पर पलटवार किया है और कहा, मुद्दों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए। चुनाव वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए। प्रियंका ने सुझाव दिया कि नेताओं को चुनाव के दौरान विकास की बात करनी चाहिए।प्रियंका ने विजयन से पूछा, आपने वायनाड के लिए क्या किया है? आपको इसके बारे में बात करनी चाहिए। चुनाव उन मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए जो लोगों को प्रभावित करते हैं, जैसे महंगाई, विकास, बेरोजगारी. हमें लोगों का ध्यान नहीं भटकाना चाहिए। प्रियंका गांधी का कहना था कि बीजेपी नेता लोगों से ‘डिस्कनेक्ट’ हो गए हैं।

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जमात को लेकर क्यों घिरी है कांग्रेस

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी पर आरोप लगाए जाते हैं कि उसके विदेशी संबंध हैं और कुछ लोग इसे विदेशी संगठनों से वित्तीय मदद लेने का आरोप भी लगाते हैं। कुछ संगठनों और समुदायों का मानना है कि जमात-ए-इस्लामी सिर्फ मुस्लिम हितों की वकालत करता है और इससे समाज में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच अविश्वास की भावना बढ़ती है। इसका कई बार सांप्रदायिक मुद्दों पर विवादास्पद रुख भी रहा है। इसके विद्यार्थी संगठन विशेषकर कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), कई बार कैंपस में कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए विवादों में रहे हैं। CFI पर आरोप लगे हैं कि वो धार्मिक ध्रुवीकरण और अलगाववाद को बढ़ावा देता है।

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क्या है जमात-ए-इस्लामी

जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा इस्लामी कानून और शरियत को प्राथमिकता देती है, जिसे कुछ लोग कट्टरपंथी मानते हैं। आलोचकों का कहना है कि यह समाज में धार्मिक विभाजन और कट्टरपंथ को बढ़ावा दे सकता है। खासकर जब यह शरियत के सिद्धांतों को लागू करने की वकालत करता है।

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