रायपुर। देशभर में सैनिटरी नैपकिन्स पर 12 फीसदी जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाए जाने का विरोध पिछले कई दिनों से हो रहा है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की महिलाओं और लड़कियों में भी सरकार के फैसले को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है. उनका कहना है कि जब चूड़़ी, बिंदी, कुमकुम जैसी ऐच्छिक चीजें टैक्स फ्री हैं, जब सरकारी अस्पतालों में कंडोम सरकार मुफ्त बांटती है और इसे टैक्स के दायरे से भी मुक्त रखा है, गर्भनिरोधक दवाएं भी टैक्स फ्री हैं, तो फिर सैनिटरी नैपकिन जैसे बहुत जरूरी सामान, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है, उस पर 12 फीसदी का टैक्स क्यों?

मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन दे सरकार

खासतौर पर युवतियों और लड़कियों ने कहा कि सरकार को इसे टैक्स फ्री कर देना चाहिए या फिर उस पर सब्सिडी देनी चाहिए. रायपुर के डॉ राधाबाई शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने तो मुफ्त सैनिटरी नैपकिन दिए जाने की भी मांग सरकार से की है.

वहीं महिलाओं ने भी सरकार के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि गोल्ड जैसी विलासिता की वस्तु पर केवल 3 फीसदी टैक्स, जबकि पीरियड्स जैसे नेचर्स कॉल जो महिलाओं के वश में नहीं होते और हर महीने आता है. उस पर 12 फीसदी जीएसटी बिल्कुल गलत है. सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और कहा है सरकार को तुरंत फैसला वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि माहवारी महिलाओं की चॉइस नहीं, बल्कि प्राकृतिक है और इस पर खुलकर बात करने की जरूरत है.

गौरतलब है कि आज भी अधिकतर महिलाएं खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं सैनिटरी पैड्स नहीं खरीद पाती हैं. वहीं कई सारी बीमारियों के पीछे भी पीरियड्स के दौरान उनका कपड़ा यूज करना या फिर अनहाईजीनिक तरीके से रहना जिम्मेदार माना गया है.