कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल में ‘मेडिकल माफिया’ स्वास्थ्य विभाग से गठजोड़ कर न सिर्फ करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, बल्कि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं। ग्वालियर के कई अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया तो प्रशासन ने इन पर ताला डालना शुरू कर दिया, लेकिन मेडिकल माफियाओं ने स्वास्थ्य विभाग से गठजोड़ जोड़कर बंद हुए हॉस्पिटल की जगह दूसरे नाम से लाइसेंस लेकर फिर से शुरू कर दिए। आइए आपको बताते हैं ग्वालियर में सिस्टम को ताक पर रखकर फैल रहा मेडिकल माफिया का मकड़जाल…

इलाज के नाम पर 5 से 10 गुना ज्यादा वसूली

ग्वालियर चंबल अंचल में भूमाफिया, रेत पत्थर माफिया, शिक्षा माफिया तो सुना होगा लेकिन अंचल में इनसे बड़ा है ‘मेडिकल माफिया’ जी हां लोगों को मेट्रो सिटी की तर्ज पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले इसे लेकर अंचल में कई प्राइवेट अस्पताल स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस लेकर संचालित हो रहे है। आये दिन इन निजी अस्पतालों पर इलाज के नाम पर मरीजों से 5 से 10 गुना ज्यादा वसूली करने के आरोप भी लगते रहे हैं।

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अधिकतर निजी अस्पतालों में संसाधान और डॉक्टर तक नहीं

डॉक्टर फीस, आईसीयू और इंजेक्शन-दवाओं के नाम पर ये भारी भरकम बिल बनाकर वसूली करते हैं। ज्यादातर निजी अस्पतालों में संसाधन और बेहतर डॉक्टर तक नहीं है, फिर भी ये अस्पताल इलाज के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हैं। कई बार इन अस्पतालों में मरीजों की मौत तक हो जाती है। मामला जब सुर्खियों में आता है तो प्रशासन लापरवाह अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त कर ताले लटका देता है।

ताला लगने के बाद नए नाम से शुरू हो जाते है हॉस्पिटल

इन हालातो में मेडिकल माफियाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग सहारा भी बन जाता है। स्वास्थ्य विभाग जिन अस्पतालों को बंद करता है उन अस्पतालों के संचालक स्वास्थ अधिकारियों से मिलीभगत कर नया लायसेंस लेकर दूसरे नाम से हॉस्पिटल शुरू कर देते हैं। जगह, इंफ्रास्ट्रक्चर, संचालक, स्टाफ सहित अन्य व्यवस्थाएं सभी वही रहती है, आईये आपको बताते हैं कि पिछले दिनों बंद हुए अस्पताल फिर से नए नाम से शुरू हो गए।

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ये बंद हुए अस्पताल अब नए नाम बदलकर शुरू हुए

  • केएम हॉस्पिटल अब मैक्स हॉस्पिटल हुआ
  • एलिस हॉस्पिटल अब लाइफ लॉन्ग हॉस्पिटल हुआ
  • आरोग्य हॉस्पिटल अब आशिमा हॉस्पिटल हुआ
  • एम हॉस्पिटल अब सैम हॉस्पिटल हुआ
  • श्री मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल अब श्री सांवरियां मल्टी स्पेशियलिटी हुआ
  • देवकीनंदन हॉस्पिटल अब आरडी हॉस्पिटल हुआ
  • मुस्कान हॉस्पिटल अब श्री शंकर हॉस्पिटल हुआ
  • विनायक हॉस्पिटल अब श्रीसांई हॉस्पिटल हुआ
  • जनक हॉस्पिटल अब आनंदम हॉस्पिटल हुआ
  • ऋषिश्वर हॉस्पिटल अब मनेश्वर हॉस्पिटल हुआ
  • रीलाइफ हॉस्पिटल अब सहयोग हॉस्पिटल हुआ

स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत का आरोप

आम लोगों का कहना हैं कि अस्पतालों में कमियां या शिकायतें मिलने के बाद निरीक्षण किया जाता है। गंभीर मामलों में नोटिस के बाद हॉस्पिटल बंद करने का आदेश जारी करते हैं। कुछ महीनों बाद स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत और नये नाम से ये अस्पताल फिर से संचालित होने लगते है। इस खेल में स्वास्थ्य विभाग के निरीक्षक, जिला अधिकारी से लेकर बड़े अफसरों तक मोटी रकम जाती है, जो जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जारी रहता है।

31 हॉस्पिटलों में तालाबंदी, 15 से अधिक अस्पताल नए नाम से खुले

ग्वालियर जिले में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में 417 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। ग्वालियर शहर में ही लगभग 350 अस्पताल बाकी डबरा सहित ग्रामीण इलाकों में संचालित है। बीते साल सितंबर में स्वास्थ्य विभाग ने 31 अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त कर तालाबंदी की थी, लेकिन तीन महीने में ही 15 से ज्यादा अस्पतालों को नए रजिस्ट्रेशन और नए नाम से खोलने की अनुमति मिली है। खास बात ये है इन नए अस्पतालों में बिल्डिंग और डॉक्टर के साथ स्टाफ वही रहता है। अस्पताल और डॉयरेक्टर का नाम बदल जाता है। स्वास्थ्य विभाग की क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक डॉ नीलम सक्सेना का कहना है कि हमने ग्वालियर चंबल अंचल के सभी जिलों के CMHO को पत्र जारी कर ऐसे अस्पतालों की सूची मांगी है। जो नाम बदलकर चल रहे हैं, अगर उन अस्पतालों में खामियां होगी या फिर नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो इसके लिए सरकारी अस्पतालों के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों का बड़ा नेटवर्क अंचल में फैला है। लेकिन जब मेडिकल माफिया इस तरह सिस्टम को ठेंगा दिखा कर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते है तो ऐसी कड़ी को तोड़ना भी जरूरी हो गया है। लिहाजा देखना होगा कि ऐसे मेडिकल माफिया पर कार्रवाई का दावा पूरा होगा या सिर्फ खोखली बयानबाजी तक रह जाएगा।

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