एक वरदान जिससे राधा रानी बनी 'किशोरी जी', जानिये कथा...
राधा नाम के जाप से व्यक्ति को श्री कृष्ण का विशेष आशीर्वाद मिलता है और श्री राधा रानी की कृपा भी उस पर बरसती रहती है.
यूं तो राधा रानी के कई नाम हैं लेकिन बिरज में उन्हें राधा के अलावा किशोरी नाम से भी पुकारा जाता है.
द्वापरयुग में अष्टावक्र नाम के एक प्रकांड विद्वान एवं संत हुआ करते थे, ऋषि अष्टावक्र का शरीर अपने ही पिता द्वारा मिले हुए श्राप के कारण 8 स्थानों से टेढ़ा था.
इसी कारण से वह जहां भी जाते लोग उनका उपहास करते और लोगों का यह व्यवहार देख ऋषि अष्टावक्र उन्हें श्राप दे दिया करते
एक दिन ऋषि अष्टावक्र जब बरसाना पहुंचे तो वहां उनकी भेंट श्री राधा रानी से हुई,अष्टावक्र जी को देख श्री राधा रानी धीमी-धीमी मुस्कुराने लगीं.
जैसे ही अष्टावक्र जी ने उन्हें यूं मुस्कुराता देखा तो वह क्रोध वश राधा रानी को भी श्राप देने लगे.
कृष्ण ने अष्टावक्र को रोकते हुए निवेदन किया की वह श्राप देने से पहले एक बार राधा रानी के मुस्कुराने के पीछे का कारण जान लें.
श्री राधा रानी ने कहा की वह अष्टावक्र के अंतर्मन में समाहित श्री कृष्ण की छवि देखकर हंस रही हैं.
तब राधा रानी की पूर्ण बात सुन अष्टावक्र ऋषि ने अपनी भूल के लिए क्षमा मांगी और प्रसन्न होकर राधा रानी को आजीवन किशोर अवस्था में रहने का वरदान दे दिया.
किशोर अवस्था से ही राधा रानी का नाम किशोरी पड़ गया, तभी से श्री राधा रानी को किशोरी जी कहा जाने लगा.
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