ED ने गुरुवार को शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को PMLA के तहत गिरफ्तार कर लिया.
ED ने अरविंद केजरीवाल को जिस कानून (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत गिरफ्तार किया है, उसमें जमानत मिलनी बहुत मुश्किल होती है.
यह कानून साल 2002 में पारीत हुआ था और इसे 1 जूलाई 2005 को लागू किया गया था. इस कानून का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है.
साल 2012 में PMLA में संशोधन कर बैंको, म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियों को भी इसके दायरे में लाया गया. एक्ट का काम है गैरकानूनी तरीके से कमाए गए धन पर रोक लगाना है. इस एक्ट में तीन बार संशोधन किया जा चुका है.
इस कानून की धारा 45 में आरोपी की जमानत के लिए दो कठोर शर्तें हैं. PMLA के तहत सारे अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे. इस कानून में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है.
ईडी को PMLA कानून के तहत कुछ शर्तों के साथ बिना वारंट आरोपी के परिसरों की तलाशी लेने और उसे गिरफ्तार करने, संपत्ति की जब्ती और कुर्की का अधिकार प्राप्त है.
PMLA के तहत अरेस्ट होने वाले को ही अदालत में यह साबित करना होता है कि उस पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं. जेल में रहते हुए आरोपी के लिए खुद को निर्दोष साबित कर पाना आसान नहीं होता.
इस कानून के तहत कई बड़े नामों को जेल जाना पड़ा है. इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी कविता को गिरफ्तार किया गया है.
PMLA अटल बिहारी सरकार के समय Parliament में पास हुआ. मनमोहन सरकार के समय अस्तित्व में आया और अब यह सोनिया गांधी-केजरीवाल जैसे नेताओं के लिए जी का जंजाल बन गया.