इस रस्म के बिना अधूरी मानी जाती है बिहारी शादी, जानिये क्या है कोहरात का भात …
सभी धर्म और जाति के लोगों के शादियों से जुड़े अलग-अलग रीति रिवाज होते हैं.
बिहारी में कोहरात का भात की रस्म का महत्व और मान्यता क्या है, चलिए जानते है.
कोहरात का भात की रस्म को लेकर बिहारी लोगों में यह मान्यता है कि,
इस भात और दही को खाने से होने वाली दुल्हन के जीवन में सब कुछ अच्छा और शुभ हो.
दही को शुभता का प्रतीक माना गया है इसलिए दही और भात को दुल्हन को खिलाया जाता है.
मान्यताएं हैं कि लड़की जब इस रस्म को निभाती है तो उसके जीवन में एकाग्रता, संपन्नता और शुभता आती है.
यह रस्म किसी भी होने वाली दुल्हन के लिए बेहद खास है,
क्योंकि इसमें मामा के घर से आया हुआ चावल आंगन में नए मिट्टी के बर्तन में पका कर खिलाया जाता है
और कुवांरी स्वरूप में लड़की अपने मायके में आखिरी बार भोजन करती है.
कोहरात का भात शादी के पहले और हल्दी के बाद का रस्म है.
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