छत्तीसगढ़ में गोबर की राखी का क्रेज, विदेश से भी मिला ऑर्डर, जानिये क्या है खासियत

इन दिनों बाजारों में हर तरह के राखी का ट्रेड हैं. तरह-तरह की डिजाइन की राखियां मिल रही है लोगों की भीड़ है

वहीं छत्तीसगढ़ के गौठानों में खास तरह की गोबर की राखी तैयार की जा रही है, आईये जानते है इसके बारे में कि ये क्यो है खास

गोबर की राखी कई मायनों में खास है. क्योंकि इस राखी से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता.

अगर इस राखी को कोई जमीन पर फेंक भी दे तो ये राखी जमीन और हमारे आसपास के वातावरण को दूषित नहीं करेगा.

बल्कि गोबर की राखी जमीन में जाकर जमीन को भी फायदा ही पहुंचाएगी. इसलिए ये राखी काफी खास है.

ये राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली है. इसमें गोबर,औषधियुक्त पौधों के रस, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है.

राजस्थान, मुंबई, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अलावा सिंगापुर से भी राखी का ऑर्डर आ चुका है.

विदेश से भी मिला ऑर्डर

अब तक 5 हजार राखियां बिक चुकी है. हर दिन हजारों की तादाद में ऑर्डर मिलता है. गोबर से बनी राखियां 10 रुपए से लेकर 100 रुपये तक में बिक रही है.

10 रुपए से लेकर 100 रुपये कीमत

हर रोज लगभग 500 रखियां बनाए जा रहे है. इन राखियों पर श्री, ओम, गणेश, स्वास्तिक का आकार उकेरा जा रहा है.

रोजाना 500 रखियों की मेकिंग

गोबर का पाउडर, मुल्तानी मिट्टी, इमली का बीज मिलाया जाता है. फिर उसे सांचे में डालकर आकार देकर पेंटिंग की जाती है. फिर मौली धागे से उसे तैयार कर फाइनल लुक दिया जाता है

कैसे किया जाता है तैयार

ये राखियां रायपुर, दुर्ग और प्रदेश के कई जिलों में तैयार कर दुकानों में बेचने के लिए दी जा रही हैं जहां से आप असानी से खरीद सकते है...

कैसे किया जाता है तैयार

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