Death: हिंदू-मुस्लिम-सिख और ईसाई... किस धर्म के लोग कैसे करते हैं अंतिम संस्कार?
Death: हिंदू-मुस्लिम-सिख और ईसाई... किस धर्म के लोग कैसे करते हैं अंतिम संस्कार?
हिंदू परंपरा में अंत्येष्टि आत्मा की भौतिक संसार से परलोक की ओर यात्रा का प्रतीक मानी जाती है. यहां दाह संस्कार होता है, जिसे शरीर से आत्मा की मुक्ति का संकेत माना जाता है.
हिंदू परंपरा में अंत्येष्टि आत्मा की भौतिक संसार से परलोक की ओर यात्रा का प्रतीक मानी जाती है. यहां दाह संस्कार होता है, जिसे शरीर से आत्मा की मुक्ति का संकेत माना जाता है.
इसके बाद श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण जैसे कर्म किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य आत्मा को शांति और पोषण देना होता है.
इसके बाद श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण जैसे कर्म किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य आत्मा को शांति और पोषण देना होता है.
मुस्लिम परंपरा में गुस्ल और कफन अंतिम संस्कार की तैयारी के सबसे महत्वपूर्ण चरण हैं.
मुस्लिम परंपरा में गुस्ल और कफन अंतिम संस्कार की तैयारी के सबसे महत्वपूर्ण चरण हैं.
गुस्ल में परिवार या विश्वसनीय लोग (उसी लिंग के) मिलकर शरीर को सम्मानपूर्वक धोते हैं.
गुस्ल में परिवार या विश्वसनीय लोग (उसी लिंग के) मिलकर शरीर को सम्मानपूर्वक धोते हैं.
इसके बाद साधारण सफेद कपड़े का कफन पहनाया जाता है, जो समानता और विनम्रता का प्रतीक है.
इसके बाद साधारण सफेद कपड़े का कफन पहनाया जाता है, जो समानता और विनम्रता का प्रतीक है.
जनाजा की नमाज अल्लाह से माफी और शांति की दुआ के लिए पढ़ी जाती है. दफन आम तौर पर 24 घंटे के भीतर कर दिया जाता है.
जनाजा की नमाज अल्लाह से माफी और शांति की दुआ के लिए पढ़ी जाती है. दफन आम तौर पर 24 घंटे के भीतर कर दिया जाता है.
सिखों में अंतिम संस्कार आत्मा के परमात्मा से मिलन का शांत और आध्यात्मिक मार्ग माना जाता है.
सिखों में अंतिम संस्कार आत्मा के परमात्मा से मिलन का शांत और आध्यात्मिक मार्ग माना जाता है.
अधिकतर सिख परिवार दाह संस्कार ही करते हैं. परिवार और संगत मिलकर कीर्तन और अरदास पढ़ते हैं.
अधिकतर सिख परिवार दाह संस्कार ही करते हैं. परिवार और संगत मिलकर कीर्तन और अरदास पढ़ते हैं.
ईसाई परंपराओं में परिवार और मित्र चर्च में एकत्र होकर प्रार्थना सभा में शामिल होते हैं.
ईसाई परंपराओं में परिवार और मित्र चर्च में एकत्र होकर प्रार्थना सभा में शामिल होते हैं.
स्मृति संदेशों के माध्यम से दिवंगत व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है और परिवार को सांत्वना मिलती है.
स्मृति संदेशों के माध्यम से दिवंगत व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है और परिवार को सांत्वना मिलती है.
इसके बाद पार्थिव शरीर को कब्रिस्तान ले जाकर दफन किया जाता है, जो परमेश्वर की शरण औ शांति का प्रतीक है.
इसके बाद पार्थिव शरीर को कब्रिस्तान ले जाकर दफन किया जाता है, जो परमेश्वर की शरण औ शांति का प्रतीक है.