किसी भी पूजा या हवन को संपन्न कराने से पहले संकल्प के दौरान ब्राह्मण, पुरोहित, पुजारी आपसे आपका गोत्र के बारे में पूछता है.
अधिकतर लोगों को अपना गोत्र याद नहीं होता है. ऐसे में आप गोत्र का उच्चारण इस तरह से भी कर सकते हैं.
गोत्र का संबंध ऋषि-मुनियों से है. भारत की गोत्र पद्धति एक बहुत प्राचीन भारतीय पद्धति है, जिसके जरिए व्यक्ति के वंश का पता चलता है.
यह पद्धति आज भी प्रचलन में है. हमारे देश में चार वर्ण माने जाते हैं- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र.
गोत्र का चलन इसलिए किया गया ताकि एक ही खून से संबंध रखने वालों की आपस में शादी न हों
जिनका गोत्र ज्ञात नहीं है उनके लिए ज्योतिष कश्यप गोत्र बनाकर जाते हैं.
जाति विभाजन होने के बाद अलग-अलग गोत्रों का निर्माण हुआ, एक गोत्र के स्त्री-पुरुष आपस में विवाह नहीं कर सकते
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