एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी! जब सुप्रीम कोर्ट में हुई थी वोटों की गिनती
आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक, हर बार प्रचार, मतदान और वोटिंग के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जो दशकों तक लोगों को याद रहती हैं.
ऐसा ही एक किस्सा हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट से जुड़ा है. जब करनाल लोकसभा सीट के लिए वोटों की गिनती सुप्रीम कोर्ट में हुई थी.
इस किस्से की शुरुआत होती है 1962 के लोकसभा चुनाव से. उस वक्त जनसंघ पार्टी से प्रत्याशी रामेश्वर नंद ने कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार को बड़े अंतर से हराया था.
1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने स्वतंत्रता सेनानी रहे लोकल कार्यकर्ता माधव राम शर्मा को स्वामी रामेश्वर नंद के सामने करनाल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा.
1967 में जब रामेश्वर नंद और माधवराम शर्मा के बीच टक्कर हुई. परिणाम आया उसने सबको अचंभित कर दिया. पं. माधव राम शर्मा ने स्वामी रामेश्वर नंद को 55 वोटों से हरा दिया.
स्वामी रामेश्वर नंद को ये हार हजम नहीं हो रही थी. उन्होंने दोबारा से मतगणना करवाई. मतगणना के बाद माधवराम शर्मा 555 वोट से आगे रहे.
मामला दोबारा काउंटिंग के लिए कोर्ट में पहुंचा. कोर्ट से फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. 1 साल मामले की सुनवाई चली. बेल्ट पेपर के बॉक्स भी कोर्ट में ही जम रहे.
1 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के जज मोहम्मद हिदायतुल्लाह की बेंच के सामने कई दिनों तक बैलट पेपर की काउंटिंग की गई. काउंटिंग में माधवराम शर्मा 5000 से भी ज्यादा वोटों से विजेता घोषित किया गया.