छत्तीसगढ़ में मंदिरों में चढ़े फूलों से बन रहा सुगंधित हर्बल गुलाल
रंगों के त्योहार होली में तरह-तरह के रंग लगाकर लोग उत्साह मनाते हैं. लेकिन इस पर्व में हर्बल गुलाल की डिमांड ज्यादा रहती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तसीगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम डोकरपाली बिहान से जुड़ी जय माता दी की स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही रही हैं.
हर्बल गुलाल लगाने से चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. महिलाओं के तैयार किए जा रहे इन हर्बल गुलाल की कई विशेषताएं हैं.
गुलाल में किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जा रहा. रंग और सुगंध के लिए फूलों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है.
पालक-लाल भाजी, हल्दी, जड़ी, बुटी और फूलों से अनेक रंगों में हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है.
इसके अलावा मंदिरों और फूलों के बाजार से निकलने वाली इस्तेमाल किए हुए फूल पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जा रहा है.
गुलाब, गेंदे, स्याही फूल के साथ चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस किया जाता है.
समूह की सदस्य चित्ररेखा दीवान ने बताया कि पिछले साल होली में 80 किलो हर्बल गुलाल महिलाओं ने बनाया था. जिससे 30 से 40 हजार रुपये की आमदनी समूह को हुई थी.