लोकल से लोकसभा तक:
चुनाव का असली मैदान सोशल मीडिया, प्रचार में पानी की तरह बहता पैसा...
लोकतांत्रिक देशों में जनता के वोट से ही सरकारें बनतीं और बिगड़ती हैं,प्रचार अभियान पूरे चुनाव का अहम हिस्सा है.
दो दशक पहले तक टीवी और अखबार ही प्रचार का सबसे बड़ा माध्यम थे.
लेकिन अब सूचनाएं लोगों के पास सेकेंडों में पहुंच रही हैं और इसका सबसे बड़ा माध्यम सोशल मीडिया है.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से भारत में अब चुनाव का असली मैदान सोशल मीडिया बन गया है.
वाट्सएप फेसबुक, एक्स (पहले ट्विटर), इंस्टाग्राम, यूट्यूब और गूगल जैसे प्लेटफॉर्म चुनाव के नतीजे बदल देने तक में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
बीते 5 साल में फेसबुक पर प्रचार के लिए 360 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
राजनीतिक पार्टियां फेसबुक पर ज्यादा पैसा खर्च करती हैं क्योंकि इसके माध्यम से वो आबादी के सभी हिस्सों से कनेक्ट हो सकते हैं.
बीते लगभग 5 सालों यानी 2019 से लेकर 2023 के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने फेसबुक पर प्रचार के लिए 33 करोड़ रुपये खर्च किए हैं
इसी दौरान कांग्रेस ने 10.58 करोड़, तृणमूल कांग्रेस ने 8.04 करोड़, डीएमके ने 4.31 करोड़ खर्च किए हैं.
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