हथकरघा उत्पाद बनाने के लिए प्रसिद्ध है जिसमें बेड शीट, टॉवल, रूमाल, कपड़े की कतरन, तकिया कवर आदि शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ में 18000 करघे कार्यशील है जिन पर लगभग 54000 व्यक्ति प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार में संलग्न है

जांजगीर-चांपा एवं रायगढ़ जिले के कोसा वस्त्र उत्पाद अपना विशेष राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय महत्व रखते है.

रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव, धमतरी, बस्तर एवं सरगुजा जिले में काॅटन वस्त्रों की एक समृद्ध परम्परा है.

वर्तमान में राज्य की 284 बुनकर सहकारी समितियां हाथकरघा संघ से सदस्य है

सैकड़ों परिवार बुनकर एवं महिलाओं को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से बुनाई एवं सिलाई के माध्यम से रोजगार मिल रहा.

पड़ोसी राज्य ओडिशा के अलावा महासमुंद जिले के कुछ हिस्सों में भी संबलपुरी साड़ी का उत्पादन किया जाता

हाथ से बनी संबलपुरी साडिय़ा 2500-3000 तक आसानी से बीक जाती है, बिक्री के लिए गांव- शहर नहीं घूमना पड़ता

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