कैसे मिलता है पटाखा फैक्ट्रियों को लाइसेंस? जानिए इसके नियम

मध्य प्रदेश के हरदा स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में भयानक ब्लास्ट हो गया. इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई.

पुलिस ने फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी दिल्ली जाने की फिराक में थे.

अब इस हादसे के बाद हम आपको बताते हैं कि आखिर पटाखा फैक्ट्रियों को लाइसेंस कैसे दिया जाता है.

कैसे मिलता है एक्सप्लोसिव विभाग का लाइसेंस

पटाखे बनाने वाली फैक्ट्रियों को केंद्र सरकार के एक्सप्लोसिव विभाग के साथ-साथ बाकी विभागों से भी क्लियरेंस लेनी पड़ती है. जब तक बाकी विभाग अपनी क्लियरेंस नहीं देते, तब तक डिप्टी कमिशनर इनके लाइसेंस रद्द कर सकते हैं.

जिस स्थान पर पटाख़ा फैक्ट्री लगानी है, उसके आगे या पीछे 100 मीटर तक कुछ नहीं होना चाहिए. पटाखा फैक्ट्री में काम करन वाले फ़ोरमैन के पास एक्सप्लोसिव विभाग का लाइसेंस होना चाहिए.

पटाखे बनाने का लाइसेंस लेने के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए. इस ज़मीन के आस-पास कोई रिहायश नहीं होनी चाहिए.

जिस कमरो में पटाख़े पैक किये जाते हैं, उस कमरे से दूसरे कमरे में तीन मीटर से 9 मीटर तक ही दूरी होनी चाहिए और बिजली की तारों, गैस सिलेंडर यहां तक कि मोबाइल भी नहीं लेकर जा सकता. पटाखे बनाने वाले कारीगरों का मेडिकल करवाना जरूरी है.