बाकि साडि़यों से कितनी अलग होती है वानापार्थी साड़ी, अदिति राव हैदरी से है खास कनेक्शन, जानें खासियत

भारत में साड़ियों का एक अलग ही महत्व है. भारतीय परिधान में साड़ी को सबसे ऊपर रखा जाता है.

इसी में से एक है वनापार्थी साड़ी…जो पहली नजर में ही बाकी सभी साड़ियों से अलग महसूस होती है.

तेलंगाना के वानापार्थी क्षेत्र से जुड़ी यह साड़ी सिर्फ पहनने का परिधान नहीं, बल्कि इतिहास, कला और संस्कृति की जीवित कहानी है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है.

इसका रंग, बुनावट और डिजाइन में एक शाही ठहराव झलकता है.

बॉलीवुड एक्ट्रेस अदिति राव हैदरी का वानापार्थी साड़ी से एक खास कनेक्शन है, जिसे उन्होंने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर शेयर भी किया है.

अदिति अपनी पोस्ट में लिखती हैं – एक ऐसी साड़ी, जिसकी जड़ें बहुसांस्कृतिक हैं, बिल्कुल मेरी तरह.

मेरे दादा राजा जे. रामेश्वर राव ने बहुत कम उम्र में ही वानापार्थी साड़ी को फिर से जीवित करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया था.

उन्होंने बुनकरों का हौसला बढ़ाया, अपने परिवार के लिए उन्हीं से साड़ियां बनवाने के ऑर्डर दिए और पुराने डिजाइनों को उन्हें दोबारा सिखाने और फिर से बनाने के लिए भेजा.

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