सिंधु जल समाप्त होने से पाकिस्तान पर कितना पड़ेगा असर ?
कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक हमले के जवाब में भारत सरकार द्वारा 1960 के सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित करने के फैसले ने कई सवाल खड़े किए
सिंधु जल समझौता में भारत और पाकिस्तान के बीच इंडस बेसिन की छह नदियों - सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज के जल के उपयोग और वितरण को नियंत्रित करती है
इस संधि के तहत पश्चिमी नदियां (इंडस, झेलम और चिनाब) पाकिस्तान को और पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास और सतलुज) भारत को आवंटित की गई हैं
आइये जाने इस जल का प्रयोग पाकिस्तान कैसे करता था
पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 20 से अधिक जलविद्युत परियोजनाएं जो चालू हैं या नियोजित हैं सिंधु नदी पर निर्भर हैं.
पाकिस्तान की एक तिहाई बिजली जलविद्युत से उत्पन्न होती है, जो तारबेला, मंगला और अन्य जलाशयों से बहने वाले पानी से उत्पन्न होती हैं.
पाकिस्तान की पूरी सिंचाई, ऊर्जा और जल प्रबंधन प्रणाली इस संधि के इर्द-गिर्द बनी है.
पाकिस्तान की समस्या- यदि ऊपरी प्रवाह कम हो जाता है या इसका समय गड़बड़ा जाता है, तो इससे इसकी बिजली उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकती है.
पाकिस्तान सूखे और बाढ़ दोनों के प्रति संवेदनशील हो सकता है.
आख़िरकार क्यों किया पाकिस्तान ने अपने ही नागरिकों को अपनाने से इंकार ?