आखिर हरियाली तीज को क्यों कहा जाता है सिंधारा तीज, क्या है इस व्रत की मान्यता....

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

हरियाली तीज का पूजा मुहूर्त 18 अगस्त को 8 बजे 01 मिनट से शुरु होकर 19 अगस्त की रात्री 10:19 बजे समाप्त होगी

सिंधारा उपहार स्वरूप भेंट की गई वे वस्तुएं हैं जो विवावित कन्या को उसके माता-पिता के द्वारा व उसके ससुराल पक्ष के लिए भेजा जाता है.

हरियाली तीज के दिन सिंधारा भेंट करने की प्रथा है, इसलिए इस तीज को सिंधारा तीज छोटी तीज व श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है

इस दिन व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है, औऱ दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं

हरियाली तीज व्रत राजस्थान मारवाड़ी समाज में अधिक मनाया जाता है, इस दिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती है

UP बिहार में कजरी गाने की परंपरा भी है, इस दिन हरी चूड़ियाँ,हरे वस्त्र पहनने,सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है

महिलाएं इस दिन सखियों संग झूला झूलती हैं, और मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं

भगवान शिव और देवी पार्वती ने इस तिथि को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया है

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