कैसे हुई पोला पर्व की शुरुआत, और क्या है इसकी मान्यता

पोला : खेती-किसानी से जुड़ा त्योहार है, भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को यह पर्व विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश में मनाया जाता है.

आज के दिन किसान बैलों का श्रृंगार कर उनकी पूजा करते है, ये त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.

इस दिन अन्न माता गर्भधारण करती हैं, इसलिए किसान इस दिन खेती का कोई काम नहीं करते हैं, ताकि अन्न माता को आराम मिल सके

मान्यता

आज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस पोलासुर का वध किया था, वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा

क्यों पढ़ा पोला नाम

पोला का त्योहार को बैल पोला, मोठा पोला और तनहा पोला जैसे नामों से जानते हैं

कई नाम

किसान बैलों तरक्की औऱ समृद्धि का प्रतीक मनाते है, माता लक्ष्मी की तरह पूजा करते हैं.

पर्व का महत्व

बैल और गाय को खोल दिया जाता है, उनको हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है.

कैसे मनाते है ये पर्व

इसके बाद पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है.

उन्हें सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है.

जिन गाय या बैलों के संग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं।

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