हरियाणा के एक छोटे शहर में कई ऐतिहासिक स्थल और मंदिर है. इन मंदिरों में समाधा मंदिर एक प्रसिद्ध और पूजनीय स्थल है, जो स्थानीय लोगों के बीच एक विशेष स्थान रखता है.
यहां एक ऐसा ही मंदिर है, जो अपने चमत्कारी पेड़ से घिरा हुआ है. 18वीं सदी में बना यह मंदिर प्रमुख हिंदू देवता श्री सतनारायण को समर्पित है. जो चीज इस मंदिर को दूसरों से अलग करती है, वह है इसके परिसर में लटकते पेड़ की मौजूदगी है.
समधा मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर काफी ज्यादा आकर्षित करती है. यहां एक ऐसा बरगद पेड़ है, जिसकी कोई भी धरती पर नहीं है, इसके चलते ये पेड़ हवा में झूल रहा है.
लटका हुआ पेड़ मंदिर में लंबा खड़ा हुआ है, ये एक गंभीर लेकिन आकर्षक इतिहास है. कथा कहती है कि इसका इस्तेमाल पेड़ को फांसी के फंदे के रूप किया जाता था.
पौराणिक कथा के अनुसार बाबा जगन्नाथपुरी जी इसी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या किया करते थे. 1586 ई. में जब बाबा जगन्नाथपुरी जी महाराज ने यहां हांसी में डेरा डाला, तब वहां कोई हिंदू नहीं रह गया था.
इसके बारे में एक आकर्षक बात यह है कि सदियों से खड़े रहने के बाद भी यह अभी भी जीवित है. यह एक विशाल आकार में विकसित हो गया है, जिसमें एक विशाल छतरी है जो मंदिर के आगंतुकों को छाया देती है.