Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ पड़े बीमार, 15 दिन नहीं होंगे दर्शन...
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ओडिशा स्थित जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ की 'स्नान यात्रा' का महोत्सव मनाया जाता है
जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा जी के काष्ठ विग्रहों को स्नान हेतु मंदिर से बाहर लाया जाता है, इस यात्रा को 'पहांडी' कहते हैं.
पुष्प आसन पर विराजमान करने के पश्चात भगवान जगन्नाथ को 108 स्वर्ण पात्रों द्वारा कुएं के चंदन मिश्रित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.
इस स्नान के पश्चात 15 दिनों तक किसी को भी उनके दर्शन न करने का निर्देश दिया.
ज्येष्ठ की भीषण गर्मी में शीतल जल से स्नान के कारण भगवान जगन्नाथ को ज्वर (बुखार) आ जाता है और वे अस्वस्थ हो जाते हैं,भगवान जगन्नाथ के अस्वस्थ होने को उनकी 'ज्वरलीला' कहा जाता है
इस अवधि में केवल वैद्य व निजी सेवक जिन्हें 'दयितगण' कहा जाता, वे ही उनके एकांतवास में प्रवेश कर सकते हैं.
15 दिनों की इस अवधि को 'अनवसर' कहा जाता है 'अनवसर' के इस काल में भगवान जगन्नाथ को स्वास्थ्य लाभ के लिए जड़ी-बूटी, खिचड़ी, दलिया एवं फलों के रस का भोग लगाया जाता है.
अनवसर काल के पश्चात भगवान जगन्नाथ पूर्ण स्वस्थ होकर अपने भक्तों से मिलने के लिए रथ पर सवार होकर निकलते हैं जिसे सुप्रसिद्ध 'रथयात्रा' कहा जाता है.