Jagannath Yatra 2024: आखिर मजार के सामने क्यों रूक जाती है जगन्नाथ यात्रा

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को एक मजार के सामने भी रोका जाता है.

क्यों रोकी जाती है मजार पर यात्रा

पौराणिक कथा के अनुसार, जहांगीर के वक्त एक सुबेदार ने ब्राह्मण विधवा महिला से शादी कर ली थी और उसके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम सालबेग था.

मां हिंदू होने की वजह से सालबेग ने शुरुआत से ही भगवान जगन्नाथ पंथ के प्रति आस्था थी.

सालबेग की भगवान जगन्नाथ के प्रति काफी भक्ति थी, लेकिन वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाते थे.

सालबेग काफी दिन वृंदावन भी रहे और रथ यात्रा में शामिल होने ओडिशा आए तो बीमार पड़ गए.

इसके बाद सालबेग ने भगवान को पूरे मन से याद किया और एक बार दर्शन की इच्छा जताई.

इस पर भगवान जगन्नाथ खुश हुए और उनका रथ खुद ही सालबेग की कुटिया के सामने रुक गई.

वहां भगवान ने सालबेग को पूजा की अनुमति दी. सालबेग को सम्मान देने के बाद ही भगवान जगन्नाथ का रथ आगे बढ़ा.

और आज भी सालबेग की याद में ये परंपरा चली आ रही है.