काशी विश्‍वनाथ मंदिर:  कई बार टूटा और बना बाबा का धाम, जानिये इतिहास

गंगा किनारे बसी काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल की नोंक पर बसी है जहां बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक काशी विश्वनाथ विराजमान हैं

पतित पावनी भागीरथी गंगा के तट पर धनुषाकारी बसी हुई यह काशी नगरी वास्तव में पाप-नाशिनी है

लेकिन क्या आप जानते है कि मंदिर को कई बार तोड़ा गया, फिर कहीं जाकर बना बाबा का धाम...

औरंगजेब के शासन में एक बार मंदिर के निहत्‍थे पुजारियों पर हमला भी किया गया तब मंदिर के मुख्‍य पुजारी ने शिवलिंग को बचाने के लिए उसे लेकर कुंए में कूद गए

माना जाता है कि इस घटना में पुजारी की मृत्‍यु हो गई और शिवलिंग कुंए में ही रह गया

फिर औरंगजेब ने मंदिर के स्‍थान पर ज्ञानवापी मस्जिद बनवा

औरंगजेब के शासन के बाद मराठा शासक मल्‍हार राव होल्‍कर ने मस्जिद को तुड़वाकर फिर से विश्‍वेश्‍वर मंदिर का निर्माण कराना चाहा तो उन्‍हें अपनों का ही साथ नहीं मिला

उनकी बहू और इंदौर की महारानी अहिल्‍याबाई होल्‍कर के स्‍वप्‍न में शिवजी ने दर्शन दिए और फिर उन्‍होंने मस्जिद के ठीक सामने सन 1777 ने वर्तमान काशी विश्‍वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया

इस मंदिर को 1194 में मोहम्मद गोरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था। इसे फिर से बनाया गया

लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया

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