जानिए क्या है PMLA एक्ट जिसपर छिड़ी है रार, कौन था इसका सबसे पहला शिकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को PMLA में गिरफ्तारी से पहले ED को स्पेशल कोर्ट से अनुमति लेने का आदेश दिया है।

वहीं इस फैसले के बाद कानूनविदों में चर्चा होने लगी है कि क्या SC ने ईडी की ताकत पर शिकंजा तो नहीं कस दिया है।

आइए जानते हैं PMLA एक्ट क्या है? और इसका सबसे पहला शिकार कौन था ?

प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट एक आपराधिक कानून है, जिसे धन शोधन को रोकने और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए लाया गया था।

पूर्व PM भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान 2002 में PMLA कानून बनाया गया, लेकिन इसे मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के दौरान जुलाई 2005 में लागू किया गया।

हेमंत सोरेन के बाद दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से कठोर पीएमएलए कानून ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के दुरुपयोग के विपक्ष दलों के आरोप का स्वर तेज हो गया है।

अभी चर्चा में क्यों ?

सबसे अधिक निशाने पर ईडी और उसका पीएमएलए कानून है। विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने पीएमएलए को इतना कड़ा कानून सिर्फ विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया है।

अभी चर्चा में क्यों ?

पीएमएलए कानून के पहले शिकार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बने थे। अक्टूबर 2009 में ED ने PMLA के तहत मधु कोड़ा समेत उनके साथ कई मंत्रियों पर इसका शिकंजा कसा था।

झारखंड के पूर्व CM हुए थे सबसे पहला शिकार

2010 के बाद 2जी घोटाले और कोयला खनन घोटाले समेत तमाम घोटालों में आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का शिकंजा कसा।

झारखंड के पूर्व CM हुए थे सबसे पहला शिकार

पीएमएलए के तहत ए. राजा समेत तमाम बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 2012 में संशोधन कर इसे और भी कड़ा बना दिया और इसके आयाम को और बड़ा कर दिया था।