जानिए चौराहे पर बनी घोड़ों की मूर्तियों की टांगों के क्या राज है ?
इन घोड़ों के अगले दो या एक पैर हवा में विभिन्न मुद्राओं में उठे होने के अलग-अलग अर्थ होते हैं। आइए जानते है किसका क्या मतलब होता है।
वीर योद्धा के साथ दिखने वाले घोड़े की प्रतिमा में एक पैर उठा हुआ है, तो इसका मतलब है कि योद्धा किसी युद्ध के दौरान घायल हुआ था, लेकिन उसकी मौत रणभूमि में नहीं हुई।
यानी उस वीर योध्या की मौत इलाज के दौरान या फिर युद्ध में घायल होने की वजह से हुई है।
वीर योद्धा के साथ दिखने वाले घोड़े के आगे वाले दोनों पैर हवा में हैं, तो इसका अर्थ है उस वीर या वीरांगना ने कई युद्ध लड़ा और उनकी मृत्यु भी किसी युद्ध के दौरान हुई है।
यानी जिस घोड़े के दोनों पैर ऊपर हैं, तो इसका मतबल उस पर बैठा वीर योद्धा या वीरांगना युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुआ हैं।
कुछ चौराहों पर ऐसी मूर्तियां लगी होती हैं, जिसमें योद्धा का घोड़ा चारों पैरों पर नॉर्मल स्थिति में रहता है। इनका मतलब है कि योद्धा ने कई युद्ध लड़े हैं, लेकिन उसकी मौत सामान्य रुप से हुई है।
यानी उस वीर योद्धा या वीरांगना की मौत न तो युद्ध में हुई और न ही युद्ध के दौरान लगे घाव से हुई, बल्कि उसकी मौत सामान्य रूप से हुई है।