Nepal Kumari Devi: नेपाल में कैसे होता है कुमारी देवी का चयन, जानिये परंपरा
नेपाल में कुमारी देवी का चयन बेहद रहस्यमयी और कड़े नियमों से होता है.
कहा जाता है, इस बार चुनी गई कुमारी ने पहले ही आने वाली अनहोनी की भविष्यवाणी कर सबको चौंका दिया था.
नेपाल में कुमारी देवी का चयन कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है
जिसमें नेवार समुदाय की शाक्य जाति की छोटी बच्ची को देवी ‘तलेजु’ का प्रतीक माना जाता है.
बच्ची का चयन 2 से 5 साल की उम्र में किया जाता है और वे अपने मासिक धर्म शुरू होने तक जीवित देवी के रूप में पूजी जाती है.
सबसे पहले बच्ची का परिवारिक और धार्मिक बैकग्राउंड देखा जाता है. इसके बाद उसके शारीरिक स्वास्थ्य और रूप-रंग का परीक्षण होता है, जिसे ‘32 पूर्णताएं’ कहा जाता है.
इसमें साफ त्वचा, सुन्दर दांत, मधुर आवाज और कोई जन्मचिह्न न होना शामिल है.बच्ची को अंधेरे, जानवरों के सिर और डरावने माहौल में ले जाकर यह देखा जाता है कि वह डरती है या नहीं.
माना जाता है कि असली कुमारी में डर का भाव नहीं होना चाहिए.
चुनी गई बच्ची को कुमारी घर यानी विशेष महल में रखा जाता है. वह सामान्य जीवन से अलग हो जाती है और सिर्फ त्योहारों या खास अवसरों पर जनता के सामने आती है.
इंद्र जात्रा और दशैं जैसे पर्वों में उनका दरबार लगता है. भक्त उन्हें देवी का स्वरूप मानकर आशीर्वाद लेते हैं.